कोरबाः छत्तीसगढ़ शासन ने लघु और सीमांत किसानों के विकास के लिए शाकंभरी बोर्ड का गठन किया है. बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर रामकुमार पटेल के नियुक्ति भी कर दी गई है. जिन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी प्रदान किया गया है. रामकुमार शाकंभरी बोर्ड के पहले अध्यक्ष होंगे. जोकि हाल ही में कोरबा प्रवास पर आए थे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की और बताया कि शाकंभरी बोर्ड आखिर है क्या? और यह किस तरह छोटे स्तर पर सब्जी भाजी की किसानी करने वाले किसानों के हित में काम करेगा.
शाकंभरी बोर्ड के अध्यक्ष के साथ खास बातचीत सवाल: शाकंभरी बोर्ड आखिर है क्या, किस तरह के काम होंगे?जवाब : प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने सभी को कुछ ना कोई दायित्व दिया है. यदि कोई विधायक, सांसद का चुनाव नहीं लड़ पाता तो उसे भी कुछ ना कुछ दिया है.हमारे पटेल समाज का प्रदेश में 30 लाख की जनसंख्या (Patel community has a population of 30 lakhs in the state) है. जिनके लिए शाकंभरी बोर्ड का गठन (Formation of Shakambhari Board) किया गया है. बोर्ड गठन के बाद 2 महीने के भीतर कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी मिल गया है. हमारे बोर्ड में उद्यानिकी विभाग का कामकाज शामिल होगा, कृषि विभाग का भी कुछ अंश शामिल होगा.
जैसा कि आपको ज्ञात है कि मध्यप्रदेश में उद्यानिकी एक अलग विभाग है, जिसके अलग मंत्री हैं. उसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ में शाकंभरी बोर्ड का सीएम ने गठन कर दिया है. कृषि और उद्यानिकी दोनों ही भाई हैं लेकिन दोनों का ही कार्यक्षेत्र काफी वृहद है. शाकंभरी बोर्ड का नाम ही कृषि एवं सीमांत किसानों के नाम पर रखा गया है.
बोर्ड का गठन जरूर मंत्रिमंडल द्वारा समाज विशेष के लिए किया गया है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि यह समाज तक सीमित रहेगा.
हमारा बोर्ड सभी लघु सीमांत किसानों के लिए काम करेगा, चूंकि सीएम भूपेश बघेल एक किसान पुत्र हैं और हमारा समाज शुरू से ही बाड़ी और बकरी का काम करता रहा है. हमारा पुश्तैनी काम है. इसलिए जरूरत को समझते हुए बोर्ड का गठन हुआ है. हम पूरे छत्तीसगढ़ का दौरा कर रहे हैं और किसानों को जितना हो सके लाभ दिलाएंगे. उद्यानिकी विभाग की योजनाओं (Horticulture department plans) में भारी भरकम सब्सिडी है, जोकि 50 फीसदी तक है.
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सवाल: उद्यानिकी विभाग प्रदेश में पहले से ही मौजूद है. ऐसे में बोर्ड के गठन के बाद क्या नया होगा, क्या पहले काम नहीं हुआ?
जवाब: देखिए, आपने अच्छी बात कही कि पूर्व में काम हुआ या नहीं. मैं एक सामाजिक संगठन से जुड़ा हुआ आदमी हूं. भले ही मैं राजनीति से जुड़ गया, सरकार, विभाग और योजनाएं चलती रहती हैं.
अब अंतर यह पैदा हुआ है कि इस बोर्ड का गठन अगर पहले हो गया होता तो आज समाज की जो स्थिति है. वह बेहतर होती. इतनी दुर्गति ना होती. शिक्षा का स्तर और भी सुधरता उदाहरण के लिए मरार समाज में शिक्षा का स्तर किसने सुधारा, किसने समाज को शिक्षित करने का काम किया? वह माता सावित्री थी, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में समाज को बढ़ावा दिया.
हम उन्हीं के रास्तों का अनुसरण कर रहे हैं, उन्हीं के संतान हैं. हालांकि थोड़ा सा समय जरूर लग रहा है. बोर्ड की नियमावली और बाइलॉज बनने में थोड़ा समय लगेगा. लेकिन वह मैं हूं और मेरे मुख्यमंत्री हैं. इसलिए हम और तेजी से काम कर रहे हैं. वरना पूर्व की तरह झुनझुना जैसी घोषणा रहकर विभाग में काम नहीं हो पाता. लेकिन हम तेजी से काम कर रहे हैं.
सवाल: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार को 3 साल का समय बीत चुका है, अब 2 साल ही शेष है,ऐसे में क्या इतना समय बोर्ड के लिए पर्याप्त होगा?
जवाब : मेरे लिए तो यह समय है बिल्कुल पर्याप्त है, क्योंकि मैं एक किसान का बेटा हूं. मेरे लिए तो 2 महीने का समय ही बहुत है. इतने समय में ही मैं अपने समाज को लाइनअप कर लूंगा। बोर्ड समाज के लिए ही बना है और जब हम समाज को कुछ देंगे नहीं तो हमें मिलेगा कैसे?
हमें काम करना है. हम काम करने वाले लोग हैं और हम समाज के लिए काम करेंगे. ताकि समाज का भला हो सके. बात करें सरकार की तो हमें तो कोरोना काल ने ही मार दिया. ढाई साल के कोरोना काल के बाद अब 3 महीने का समय मिला है. आप इतने समय में ही देख लीजिए कि भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में किस तरह से विकास के कार्य हो रहे हैं. निचले तबके के लोगों को ऊपर उठाने के लिए बोर्ड का गठन किया गया है. जितना हम से हो सकेगा हम पूरी शक्ति से काम करेंगे.
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सवाल: छत्तीसगढ़ में निगम, मंडल, आयोग और बोर्ड की कमी (Commission and Board Shortcomings) नहीं है. बोर्ड बन जाते हैं. अध्यक्षों की नियुक्ति हो जाती है, लेकिन सिर्फ खानापूर्ति होती है काम नहीं होता?
जवाब: मुझे यह लगता है कि इस बार जो निगम मंडल और बोर्ड बनाए गए हैं उसमें नीचे तबके के लोगों को अधिकार दिया गया है. एक नई तरह की शुरुआत हो रही है, लोग भी हमें कहते हैं कि देखो पटेल लोग जा रहे हैं. लेकिन बात पटेल या किसी समाज की नहीं है। बात है काम करने वाले लोगों की.
हम बहुत तेज गति से काम कर रहे हैं और अपने समाज को आगे लाने का प्रयास कर रहे हैं. अगर समाज के लिए हम थोड़ा सा भी कुछ कर पाएं तो हमारा जीवन धन्य होगा.
रही बात खानापूर्ति की तो मैं दावे से कह सकता हूं कि मेरा बोर्ड और मुझसे संबद्ध विभाग पूरी तेज गति से काम कर रहे हैं. मंत्रिमंडल और सीएम खुद कहते हैं कि यह लोग काम कर रहे हैं. तो हम अपने समाज के लिए काम करेंगे और हम मेरे बोर्ड में कुछ कृषि मंडल के सदस्य भी हैं. सभी बेहतर काम कर रहे हैं.
सवाल: शासन की महत्वकांक्षी योजना (government's ambitious plan) नरवा गरवा घुरवा और बाड़ी में भी क्या विभाग का दखल होगा, वहां किस तरह से काम करेंगे?
जवाब : नरवा गरवा घुरवा और बाड़ी में से बाड़ी तो पूरी तरह से हमारी है. हम सरकार का अंग हैं. सरकार ने हमें अपना अंग बनाया है. यह हमारे समाज के लिए बड़ी बात है. इस योजना में से बाड़ी विकास का काम पूरी तरह से शाकंभरी बोर्ड से होगा और हमें खुशी है इस बात की. पूर्व में जिसने हमारे समाज का उपयोग किया, उसने हमें अपना अंग नहीं बनाया है. लोग गमछा लगाकर घूमते हैं और अपने आप को कट्टरवादी बताते हैं, लेकिन उनके पास खाने को दाना नहीं होता. सरकार में हमें अपना अंग बनाया है हम काम करके दिखाएंगे. आज किसान पुत्र भूपेश बघेल ने करके दिखाया. जो कहा उसका पालन भी करके दिखा दिया. नरवा गरवा घुरवा बाड़ी में से बाड़ी का विकास शाकंभरी बोर्ड के द्वारा हम करेंगे बल्कि हम तो धन्यवाद देंगे भूपेश बघेल जी को कि उन्होंने हमें अपने अंग के तौर पर इस योजना में शामिल रखा है.
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सवाल: नए बोर्ड का गठन हुआ है, तो जो किसान योजनाओं का लाभ लेना चाहते हैं, उन तक आप कैसे पहुंचेंगे कैसे किसानों की लाभ मिलेगा?
जवाब: बोर्ड सिर्फ नया बना है. लेकिन विभागीय योजना पूर्व से ही संचालित होती रही हैं. सारा चीज वही है, जो भिंडी, बरबट्टी और इस तरह से फसलों की खेती करते थे उन्हीं किसानों पर हमारा फोकस है. पूर्व में तो किसानों को खराब बीज का वितरण भी कर दिया जाता था. लेकिन हम यह व्यवस्था कर रहे हैं. हमारी सरकार से बात भी हुई है कि किसान जहां से चाहें, वहां से अपनी पसंद का उन्नत बीज खरीद लें. उसके पैसे हम सब्सिडी के रूप में उनके खातों में हस्तांतरित करेंगे. नए फसल में चीकू है. इसके अलावा केला, पपीता की खेती है. जिन्हें फलदार वृक्ष कहा जाता है. सभी के लिए विभाग से अनुदान मिलेगा. हमारी व्यवस्था पूरे सरकार में सभी किसानों के लिए रहेगी. हम टोल फ्री नंबर भी जारी करेंगे. हम खुद किसानों तक पहुंच कर उनके समस्याओं को दूर करेंगे.
सवाल: वर्तमान में जो राजनैतिक परिदृश्य प्रदेश में है, नेतृत्व परिवर्तन की भी चर्चा होती है. निचले स्तर पर कार्यकर्ता कैसा महसूस करते हैं, कितनी कठिनाई होती है?
जवाब : देखिए इसमें कई तरह की बातें हैं, जो काम करना चाहता है, लोग उसकी टांग खींचते हैं. यह सृष्टि का नियम नहीं है. हमने इसे नियम बना दिया है.
तो निश्चित तौर पर अंदर की बात क्या है, वह तो किसी को पता होती नहीं है लेकिन ऊपरी तौर पर जो दिखता है. उससे कार्यकर्ता असंतुष्ट हो जाते हैं. खासतौर पर हम जैसे लोग कहीं ना कहीं तो हतोत्साहित होते हैं. इन सब शंकाओं का समाधान भी होना चाहिए. हम भी जब कई बार लोगों से मिलते हैं तो असमंजस में रहते हैं कि किस तरह उनका सामना करेंगे. कहीं ना कहीं ऊपर वाले लड़ते हैं तो नीचे कुछ कठिनाई का सामना करना पड़ता है. हमें भी दुख का सामना करना पड़ता है. लेकिन अंत में ऐसा कहीं कुछ नहीं है. टीएस बाबा भी खुद एक किसान पुत्र हैं. छत्तीसगढ़िया सरकार है, और हम अच्छे तरीके से काम कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ का ही राज चलेगा.