कोरबा: गुरुवार को जिले के जिला पंचायत सभाकक्ष में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने सुनवाई (women commission hearing ) की. इस दौरान 25 प्रकरणों को सुनवाई के लिए रखा गया था. कुछ मामले ऐसे भी रहे जिनके आवेदक सुनवाई में पहुंचे ही नहीं. ऐसे मामलों को फॉरवर्ड कर दिया गया है. कुछ दिलचस्प मामले भी आयोग के संज्ञान में आए. जिसे सुनने के बाद आयोग के सदस्य भी हैरान रह गए. हालांकि ऐसे मामलों के लिए ठोस कार्यवाही के आदेश भी जारी किए गए हैं.
महिला आयोग ने 25 मामलों में सुनवाई की लव ट्रायंगल का अनोखा मामला, आयोग ने कहा 2 बार ले चुकी हो तलाक तीसरे का घर क्यों तोड़ रही?
सुनवाई के दौरान आयोग के सामने लव ट्रायंगल का एक अनोखा मामला संज्ञान में आया. जिसमें एक पटवारी शासकीय सेवा में है, और अपनी पत्नी और 8 साल के बच्चे को छोड़कर अलग रहता है. पति का कहना है कि पत्नी की हरकतों से वह परेशान है. वह उसे मारती पीटती है. उसके खिलाफ कई स्थानों पर झूठा केस दर्ज कराए हुआ है. किराए के मकान के लिए 11 हजार हर महीने भी दे रहा हूँ. इसलिए पत्नी से अलग हूं.
पत्नी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पति किराया तो देते हैं लेकिन भरण पोषण के नाम पर कोई रकम नहीं दी जाती. इनका संबंध ऐसी महिला से है जो कि स्वयं भी पटवारी है और दो बार की तलाकशुदा है. आयोग ने पति-पत्नी के बीच आई महिला पटवारी को भी बुलाया. अध्यक्ष किरणमयी नायक (kiranamayee naayak) ने उनसे पूछा कि 2 बार तलाक जैसी परिस्थितियों से गुजर चुकी हो. तीसरी बार ऐसा क्यों कर रही हो?
महिला ने कहा मैंने किसी का घर नहीं तोड़ा इनसे पहले ही कहा था कि अपने बीवी बच्चों का ध्यान रखो. जब पुरुष पटवारी से अध्यक्ष ने फिर पूछा कि तुम चाहते क्या हो? तब उसने कहा कि मैं अब केवल तलाक चाहता हूं. आयोग ने पटवारी के खिलाफ विभागीय जांच के साथ ही ठोस कार्रवाई के लिए मौके पर मौजूद SDM सुनील नायक को प्रकरण भेज दिया है.
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पेंशन के लालच में जालसाल वकील बना पति
आयोग के समक्ष बांकीमोगरा क्षेत्र से आई महिला श्वेता पांडे ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनकी मां वकील सीके शर्मा की दूसरी पत्नी थी. शासकीय दस्तावेजों में भी माता के पति का नाम सीके शर्मा दर्ज है, मां शासकीय कर्मचारी थी. चुंकि पिता वकील हैं, इसलिए किसी तरह शासकीय कर्मचारी रही मृत मां के पेंशन को खुद ही लेने लगे.
ऐसा पिछले 2 सालों से चल रहा है लेकिन जब हमारे भरण-पोषण की बात आती है तब वह कहते हैं कि मैंने तुम्हारी मां से शादी नहीं की थी. लिव इन में रहता था. आयोग के सामने भी वकील ने यही बात कही है.
जिस पर अध्यक्ष किरणमयी नायक ने गहरी नाराजगी जताई और कलेक्टर को नियम विरुद्ध पेंशन प्राप्त करने के लिए वकील के खिलाफ ठोस कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. पेंशन के वसूली की भी बात आयोग ने कही है.
दीदी की मौत के बाद मिलने नहीं देते थे 8 साल की बच्ची से
आयोग के समक्ष एक ऐसा मामला आया जब शादी के बंधन से नाखुश एक महिला ने खुदकुशी कर ली. लेकिन उनकी 8 साल की बच्ची से मायके पक्ष वालों को मिलने नहीं दिया जा रहा था. इस संबंध में मृतका की बहन सुनीता साहू ने बताया कि दीदी की मौत 2 साल पहले हो गई थी. उनकी मौत भी संदेहास्पद थी. जीजा के खिलाफ शिकायत है. हमने आयोग में शिकायत की थी. आज निर्णय लिया गया है कि महीने में एक बार हम बच्ची से मिल सकेंगे. जिससे हमें काफी अच्छा महसूस हो रहा है.
बेटियों को मिली नौकरी
SECL के पुनर्वास नीति के तहत भूमि अधिग्रहण करने के बाद नौकरी देने का प्रावधान केवल पुरुषों के लिए था. महिलाओं को नौकरी से महरूम रखा जाता था, लेकिन कुछ साल पहले ही इस नियम को बदला गया है. बदले हुए नियमों के बाद भी SECL ने जब बेटियों को नौकरी नहीं दी, तब उन्होंने गुहार लगाई. इस संबंध में विभूति भावना ने बताया कि ग्राम बरकुटा 1992 में जमीनों का कुसमुंडा खदान के लिए अधिग्रहण किया गया था. तभी से हम नौकरी के लिए भटक रहे हैं, जब नियमों को बदला गया तब हमने SECL से गुहार लगाई लेकिन नौकरी नहीं मिली. आयोग में अपील के बाद अब ना सिर्फ नौकरी बल्कि मुआवजा भी दिए जाने का आदेश जारी किया गया है.