कोरबा: छत्तीसगढ़ सरकार ने हड़ताल करने वाले शासकीय कर्मचारियों पर बड़ा एक्शन लिया है. सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए हड़ताल अवधि का वेतन काटने के साथ ही कर्मचारियों की उत्तर पुस्तिका में ब्रेक इन सर्विस का उल्लेख करने का आदेश जारी किया है. सरकार ने शुक्रवार शाम आदेश जारी किया. हड़ताल कर रहे कई संगठनों ने इस सामान्य प्रक्रिया बताते हुए कर्मचारियों को आंदोलन से पीछे नहीं हटने को कहा है. ( chhattisgarh government ordered to cut salary of striking employees)
हड़ताली कर्मचारियों पर सरकार का सख्त आदेश: छत्तीसगढ़ सरकार ने सभी विभागों, राजस्व मंडल और कलेक्टरों को आदेश जारी करते हुए कहा "शासकीय कर्मचारियों के हड़ताल, धरना और सामूहिक अवकाश पर कार्यालय से अनुपस्थिति की अवधि में सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से 10 अप्रैल 2006 को आदेश जारी किया गया था. इसी आदेश के आधार पर हड़ताली कर्मियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए."हड़ताल अवधि का वेतन काटने के साथ ही कर्मचारियों की उत्तर पुस्तिका में ब्रेक इन सर्विस भी लिखा जाएगा. 25 जुलाई से कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर कर्मचारी अधिकारी अनुपस्थित है. शुक्रवार को उनके हड़ताल का आखिरी दिन था. शनिवार को हड़ताली कर्मचारियों के काम पर लौटने का दिन है. लेकिन शनिवार और रविवार की छुट्टी होने की वजह से अब वे सोमवार को काम पर लौटेंगे. (Government order on strike workers in Chhattisgarh)
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आखिर क्या है 2006 के इस आदेश में : सरकार ने 29 जुलाई को 2006 के आदेश का हवाला देकर कर्मचारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. जिसमें हड़ताल के संबंध में स्पष्ट गाइडलाइन है. मुख्य सचिव की तरफ से जारी आदेश में हड़ताल, प्रदर्शन मंजूर होने से पहले अवकाश पर जाने को कदाचरण माना गया है. छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का हवाला देते हुए हड़ताल और और अवकाश स्वीकृत होने के पहले अवकाश पर जाना सरकारी सेवकों के लिए प्रतिबंधित है. इस अवधि का ना तो वेतन मिलेगा ना ही अनुपस्थिति का अवकाश स्वीकृत किया जाएगा. इस अवधि को ब्रेक इन सर्विस माना जाएगा. सरकार ने सोमवार से इस आदेश पर अमल करने को कहा है. जिला अधिकारियों को वेतन काटने के साथ ही सोमवार को कार्यालय खुलते ही वेतन कटौती और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानकारी भी देने को कहा गया है.