कोरबा: विपरीत परिस्थितियों में मरीजों को कई बार खून के अलग-अलग घटक की जरूरत होती है. जिसमें प्लेटलेट, प्लाज्मा, आरबीसी और डब्ल्यूबीसी शामिल हैं. किसी भी इंसान के खून से इन 4 घटकों को एक विशेष मशीन से पृथक किया जाता है. खून के घटकों को पृथक करने वाली ब्लड सेपरेटर मशीन 2019 में ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंच गई है. लेकिन उदासीन व्यवस्था के कारण इसे अब तक शुरू नहीं किया जा सका है. जिसके कारण इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन ने इसके लिए डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन(DME) से मिलकर बात की पत्राचार किया, लेकिन अब तक बात नहीं बनी है.
Korba latest news करोड़ों का ब्लड सेपरेटर मशीन बना सफेद हाथी, कोरबा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की अनदेखी - कोरबा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की अनदेखी
Korba latest news कोरबा के मेडिकल कॉलेज में प्रशासन की अनदेखी के कारण ब्लड सेपरेटर मशीन अब तक शुरु नहीं हो सकी है. जिसके कारण मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.इस मशीन को शुरु करने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने काफी कोशिशें भी की लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा. प्रबंधन की माने तो इस मशीन को शुरु करने के लिए एक पूरक मशीन की जरूरत है.
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डीएमई से चर्चा की, जल्द मशीन होगी शुरु :इस विषय में कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट गोपाल सिंह कंवर ने बताया कि ''ब्लड सेपरेटर मशीन की आपूर्ति काफी पहले ही हो चुकी है. लेकिन इसे शुरू करने के लिए एक और मशीन की जरूरत है. जिसकी आपूर्ति सीजीएमएससी के माध्यम से अब तक नहीं की जा सकती है. हमने इसके लिए डीएमई से भी मुलाकात की है. पत्राचार लिया है, लेकिन कुछ तकनीकी पेंच फंसा हुआ है. जल्द ही इसे शुरू कर लिया जाएगा यह मरीजों के लिए बेहद उपयोगी मशीन है.'' Korba latest news