कोरबाः हसदेव नदी पर बने दर्री बराज से कुछ दूरी पर जल आवर्धन योजना के तहत शहर में पीने का पानी सप्लाई के लिए सर्वेश्वर एनीकट (Sarveshwar Anicut) का निर्माण तो पूरा हो गया लेकिन इसके साथ ही रेत का कारोबार करने वाले कारोबारियों के लिए मानों शामत आ गई. एनीकट के अस्तित्व में आते ही गेरवा घाट रेत खदान (Gerwa Ghat sand quarry) के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. एनीकट में पानी रुकने के बाद गेरवा घाट स्थित रेत खदान में पानी भर गया है. जिससे रेत व्यवसाय से जुड़े लोगों के कारोबार को ही मानों ग्रहण लग गया है.
यहां से रेत उत्खनन संभव नहीं हो पा रहा है. शहर के बीचोंबीच स्थित इन गेरवा घाट रेत खदान से ही शहर व आसपास के क्षेत्रों में अधोसंरचनात्मक विकास कार्यों (infrastructural development works) के लिए रेत की आपूर्ति की जाती है. अब गेरवा घाट रेत खदान बंद होने से शहर में रेत की किल्लत हो गई है. सरकारी निर्माण कार्य से लेकर आम लोगों के घरों के निर्माण कार्यों में रेत की कमी आड़े आ रही है.
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नहीं हो पा रहा है चार रेत खदानों का संचालन
गेरवा घाट के साथ ही शहर के चार अन्य रेत खदानों में प्रक्रिया को पूर्ण नहीं किया जा सका है. जिसमें पुराने शहर का सीतामढ़ी के रेत खदान भी शामिल है. रेत खदानों के आवंटन के बाद ठेकेदारों को लीज का नवीनीकरण (renewal of lease) कराना होता है. इसके लिए कई औपचारिकताओं को पूरा करना होता है. दस्तावेजों की आवश्यकता होती है. दस्तावेजी प्रक्रिया को पूर्ण नहीं कर पाने के कारण ही 4 रेत खदानों का संचालन (operation of mines) खनिज विभाग (Mineral Department) शुरू नहीं करा सका है. जिससे की विधिवत तौर पर रेत आपूर्ति (sand supply) में बाधा उत्पन्न हो रही है.