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27 वर्षों से गरीब कन्याओं का विवाह करा रहा आश्रम, विदेशी नागरिक लेते हैं नवदंपतियों की जिम्मेदारी

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Published : Mar 13, 2022, 6:53 PM IST

कोरबा जिले का स्वामी भजनानंद वनवासी सेवा आश्रम आने वाली पीढ़ियों के लिए नई मिसाल कायम कर रहा है. पिछले 27 वर्षों से आश्रम ने सैकड़ों गरीब कन्याओं की गृहस्थी बसाई है.

कोरबा :जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर कटघोरा-अंबिकापुर राष्ट्रीय राजमार्ग के केंदई जलप्रपात पर बने स्वामी भजनानंद वनवासी सेवा आश्रम में सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया था.जिसमे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ 75 जोड़ों को परिणय सूत्र में बांधा गया.इस विवाह समारोह में ना तो समाज का कोई बंधन था और ना ही किसी रुढ़ीवादी परंपरा का निर्वहन. इस सामूहिक विवाह में निचले तबके के प्रेमी जोड़े 7 जन्मों के लिए एक हो गए. आश्रम में सामूहिक विवाह के आयोजन का यह लगातार 27वां वर्ष है. इसकी ख्याति ऐसी है कि अमेरिका से भी लोग कन्यादान करने पहुंचते हैं. स्वामी शारदानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में पिछले दो दशक से लगातार साल में एक बार जरूरतमंद युवक-युवतियों की शादी के लिए सामूहिक विवाह का मंडप सजाया जाता है. जोड़ों की संख्या हर साल घटती-बढ़ती रहती है.

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जाति और समाज से उठकर नेक कार्य

आश्रम के इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शादी करने वाले जोड़ों के लिए जाति और समाज का कोई बंधन नहीं होता. जरूरत होती है तो बस अटूट प्रेम की. यही कारण है कि यहां कई ऐसे जोड़े भी परिणय सूत्र में बंधे जो एक दूसरे से प्यार करते थे. वह इतने सक्षम नहीं थे कि अपने बल पर गृहस्थी की शुरुआत कर सकें. ऐसे में आश्रम का यह आयोजन उनके लिए एक उम्मीद बनकर सामने आया. यहां शादी करने वाले जोड़ों के न सिर्फ शादी का खर्च बल्कि दांपत्य जीवन शुरू करने के लिए बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति भी की जाती है.

संत-विद्वानों का भी होता है समागम महायज्ञ एवं विवाह कार्यक्रम में प्रदेश और देश के कई प्रांतों से साधु संत, विद्वानों का भी आशीष प्राप्त होता है. इस अवसर पर श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन भी किया गया था. विदेश में रह रहे धर्मावलंबी जन अपने बच्चों के साथ प्रत्येक आयोजन में यहां पहुंचकर निस्वार्थ सेवा प्रदान करते हैं. बेटी के पालक के रूप में कन्यादान तो वर पक्ष की ओर से बाराती बनकर पवित्र अग्नि के समक्ष संस्कारों का निर्वहन करते हैं. वर-वधु को शुभ शुरुआत के लिए दाम्पत्य जीवन की हर आवश्यक वस्तु उपहार स्वरूप प्रदान किया गया. ऐसा नहीं कि विवाह के बाद उनका कर्तव्य पूर्ण हो गया, वे जीवन पर्यंत इन जोड़ों के माता और पिता के रूप में हर जरूरत में ढाल बनकर साथ खड़े होते हैं.

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27 साल से हो रहा निर्धन कन्याओं का विवाह

स्वामी भजनानंद आश्रम केंदई में सेवा दे रहीं गिरिजा देवी ने बताया कि यहां लगभग 27 वर्षों से सामूहिक विवाह का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. रविवार को यहां 75 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे हैं. नए जोड़ों को आश्रम की ओर प्रारम्भिक आवश्यकता के जरूरी सामान भेंट स्वरूप दिये जाते हैं. आश्रम में निर्धन कन्याओं के लिए यह आयोजन किया जाता है, जो परिवार शादी करने में सक्षम नहीं और कर्ज लेने के लिए अपनी जमीन तक बेच देते हैं. उनके लिए ये आश्रम मददगार साबित हुआ है.

देसी दूल्हा-दुल्हन, तो विदेशी बाराती
सजे-धजे वनवासी जोड़े व उनके परिजन के साथ देश-विदेश से आए पालक माता-पिता ने भी बाराती की भूमिका में अपने दायित्वों को पूरा कर संस्कारों को पूर्ण कराया. इस मौके पर छ्त्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत, गौ सेवा आयोग छ्त्तीसगढ़ शासन डॉ रामसुंदर दास महंत, बोधराम कंवर, पाली तानाखार विधायक और मुख्यमंत्री अधोसंरचना उन्नयन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष तथा राज्यमंत्री मोहितराम केरकेट्टा, कटघोरा विधायक पुरषोत्तम कंवर, गौ सेवा आयोग सदस्य छ्त्तीसगढ़ शासन प्रशांत मिश्रा समेत अन्य जिलों के गणमान्य नागरिक और ग्रामीण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.

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