कोरबा: कोरबा NTPC प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कोयले की राख का इस्तेमाल अब नेशनल हाइवे के निर्माण में किया जाएगा. इसके अलावा यह राख मानिकपुर कोयला खदान को भरने में इस्तेमाल में लाया जाएगा.
सड़क निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा एनटीपीसी की राख एनटीपीसी प्रबंधन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर विश्वरूप बसु ने बताया कि फिलहाल हम 60% राख का सफलतापूर्वक यूटिलाइजेशन कर रहे हैं. आने वाले दिनों में जिले के नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट में राख देने के साथ ही हम मानिकपुर कोयला खदान में राख भरने के लिए एसईसीएल को दे रहे हैं. संयंत्र में बिजली उत्पादन के लिए प्रतिदिन 41 हजार टन कोयला जलता है. जो एसईसीएल गेवरा खदान से संयंत्र में लाया जाता है.
होता है 40 प्रतिशत राख का उत्सर्जन
विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान 40 प्रतिशत राख का उत्सर्जन होता है. वर्तमान में एनटीपीसी कोरबा प्लांट द्वारा इसके 60% राख का यूटिलाइजेशन किया जा रहा है. देखा जाय तो एनटीपीसी कोरबा संयंत्र में 200 मेगावाट की तीन और 500 मेगावाट की चार इकाइयों सहित कुल 2600 मेगावाट क्षमता वाले इस पवार प्लांट की स्थापना वर्ष 1984-85 में हुई थी.
प्लांट लोड फैक्टर (PLF)के मामले में देश भर में नंबर वन
एनटीपीसी कोरबा की देश में अन्य इकाइयों से अग्रणी है. फिलहाल प्रथम पायदान पर पर होने से एनटीपीसी ग्रुप के जितने भी पावर प्लांट देश में हैं, एक वर्ष पहले उनके (प्लांट लोड फैक्टर) पीएलएफ फैक्टर में घटौती हुई थी. जबकि एनटीपीसी कोरबा संयंत्र का पीएलएफ 94.04 फीसदी पहुंच गया है. जबकि पिछले साल यह 93 फीसदी था. प्लांट लोड फैक्टर किसी पावर प्लांट का वह इंडेक्स होता है जिससे यह पता चलता है कि वह अपने पूरे क्षमता के अनुरूप कितने बिजली का उत्पादन कर रहा है. पीएलए फैक्टर के मामले में कोरबा का एनटीपीसी पावर प्लांट 30 दिसंबर 2021 तक कि स्थिति में देश भर में पहले पायदान पर है.
Khairagarh Municipal Council: खैरागढ़ नगर पालिका में लॉटरी से अध्यक्ष पद का हुआ चुनाव, बीजेपी हुई आगबबूला
कोरिया घाट राखड़ डैम का प्रोजेक्ट कैंसल
राख का प्रबंधन किसी भी पावर प्लांट के लिए एक बड़ा सर दर्द होता है. बिजली उत्पादन के दौरान उत्सर्जित राख को डंप करने के लिए NTPC पावर प्लांट के पास कोरिया घाट राखड़ डैम का प्रस्ताव सरकार को दिया था. यहां के कुल 1024 एकड़ भूमि को रेत और राखड़ डैम के लिए चयनित किया गया था. लेकिन लेमरू एलिफेंट रिजर्व आ जाने से यह प्रोजेक्ट कैंसल किया गया. हालांकि प्रबंधन का दावा है कि इसके वैकल्पिक मार्ग की तलाश कर ली गई है.
NTPC के पास सिर्फ 6 दिनों का स्टॉक
एनटीपीसी पावर प्लांट के पास फिलहाल 6 दिनों का ही कोयला स्टॉक है. पावर मिनिस्टर के अनुसार अब सभी सभी पावर प्लांट के पास कम से कम 17 दिन का कोयला स्टॉक होना चाहिए. एनटीपीसी प्रबंधन कोयले के लिए पूरी तरह से गेवरा कोयला खदान पर निर्भर है. लेकिन यहां से पर्याप्त मात्रा में कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. एनटीपीसी कोरबा प्रबंधन द्वारा महानदी कोलफील्ड, एमपी से भी कोयला मंगाने की तैयारी कर रही है. लेकिन इसकी दूरी अधिक होने से बिजली उत्पादन की दरें बढ़ सकती हैं.निकट भविष्य में जिले के कुसमुंडा कोयला खदान का विस्तार किया जाना है. जहां 7 साइलो स्थापित किए जाएंगे.