बीजापुर : जिले के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बेचापाल में ग्रामीण पुलिस कैंप के विरोध (Protest against rural police camp in Bechapal) में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीण छत्तीसगढ़ की सरकार पर आरोप लगा रहे हैं. ग्रामीणों के मुताबिक राज्य की सरकार पंजाब और दिल्ली के आंदोलन में त्वरित फैसले ले रही है.लेकिन उसके ही राज्य के आदिवासियों की चिंता नहीं है. बस्तरवासियों को सरकार ने भुला दिया है. पिछले 5 महीने से ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं.ग्रामीणों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि बिना उनकी अनुमति और ग्राम सभा के पुलिस कैंप खोल दिया गया. ग्रामीण इलाकों में पक्की सड़क बनाई जा रही है. बेगुनाह ग्रामीणों को नक्सली बताकर परेशान किया जा रहा है. ग्रामीणों के आंदोलन को ETV भारत ने प्रमुखता से दिखाया था. जिसके बाद अब जनप्रतिनिधि ग्रामीणों के पास पहुंच रहे हैं.
पूर्व मंत्री ने दिया आंदोलन को समर्थन : पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा (Former Forest Minister Mahesh Gagda) ने आंदोलन कर रहे ग्रामीणों के बीच जाकर उनका हाल जाना. इसके अलावा एक माह से बांगोली गांव में कई मामलों को लेकर आंदोलनरत आदिवासियों को समर्थन देने गुरूवार को इंद्रावती नदी पारकर महेश गागड़ा मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों से बात की. महेश गागड़ा ने आरोप लगाया कि जब से छत्तीसगढ़ की सरकार बनीं है, तब से बस्तर के बेगुनाह आदिवासी मारे जा रहे हैं. पूर्व वनमंत्री ने बाबा साहेब अंबेडकर जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल को भैरमगढ़ से बीजापुर पैदल रैली को आदिवासियों के समर्थन का ऐलान किया. सिलगेर, बेचापाल और बुरजी में भी कई महीनों से आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन सरकार उनकी नहीं सुन रही है. पूर्व मंत्री का आरोप है कि कांग्रेस के विधायक एवं मंत्री बीजेपी शासन काल के निर्माण कार्य को खुद का बता रहे हैं. ये कांग्रेस सरकार की देन है.