जगदलपुर :बस्तर में विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा के बाद दूसरे बड़े गोंचा पर्व की शुरुआत हो चुकी (jagdalpur Goncha Parv) है. गोंचा पर्व की अगली रस्म नेत्र उत्सव 30 जून को निभाया जाएगा. इसी दौरान महालक्ष्मी के मूर्ति की स्थापना जगदलपुर के ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर में की (Historical Jagannath Temple of Jagdalpur) जाएगी. इसके अलावा 1 जुलाई को बस्तर में श्री गोंचा मनाया जाएगा और नवनिर्मित विशालकाय रथ में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को सवार करके जगदलपुर में रथ यात्रा निकाली जाएगी.
क्यों है जगदलपुर की तुपकी रस्म रथयात्रा में खास ? - क्यों है जगदलपुर की तुपकी रस्म रथयात्रा में खास
एक जुलाई को बस्तर में श्री गोंचा पर्व मनाया (jagdalpur Goncha Parv) जाएगा. इस पर्व में तुपकी की रस्म अदा की जाएगी. ये रस्म सिर्फ बस्तर में ही निभाई जाती है.
रथयात्रा में क्या होगा खास :इस यात्रा को बस्तर के स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए बांस की तुपकी से सलामी दी (Tupki ritual of Jagdalpur special in Rath Yatra) जाएगी.अध्यक्ष दीनदयाल जोशी ने बताया कि ''बांस तुपकी की सलामी गोंचा पर्व में सबसे महत्वपूर्ण होती है. इसके अलावा बीते वर्ष शहर में माउजर नुमा प्लास्टिक की भी तुपकी देखने को मिली थी. जिसके कारण बांस की तुपकी का उपयोग कम देखने को मिला.जो कि परंपरा के विरुद्ध है.''
परंपरा का नहीं होगा उल्लंघन :अध्यक्ष दीनदयाल जोशी ने बताया कि '' इस कारण समाज इस वर्ष से प्लास्टिक की बनी माउजर नुमा बंदूक को भी बैन करने की मांग जिला प्रशासन से की है.बस्तर में ही भगवान जगन्नाथ को बांस की बनी तुपकी और पेंग से सलामी दी जाती (Salute with bamboo sticks in Jagdalpur) है. ऐसी सलामी बस्तर के अलावा जगन्नाथ पुरी में भी नहीं दी जाती.''
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