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बस्तर दशहरा की रस्म जोगी बिठाई विधि विधान के साथ निभाई गई

world famous bastar dussehra: बस्तर दशहरा शांतिपूर्ण और निर्बाध रूप से संपन्न कराने के लिए सदियों पुरानी रस्मों को आज भी पूरा किया जा रहा है. सोमवार को जोगी बिठाई रस्म पूरी हुई. इस रस्म में युवक 9 दिनों तक निर्जला व्रत कर तपस्या में बैठता है.

Jogi Bithai ritual of Bastar Dussehra
बस्तर दशहरा की जोगी बिठाई रस्म

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Published : Sep 27, 2022, 10:19 AM IST

Updated : Sep 27, 2022, 12:10 PM IST

जगदलपुर:अपनी अनोखी परंपराओं के लिये विश्वचर्चित बस्तर दशहरा की एक और अनुठी व महत्वपुर्ण रस्म जोगी बिठाई को सोमवार देर शाम सिरहासार भवन में पूर्ण विधी विधान के साथ पूरा किया गया. परंपरानुसार एक विशेष जाति का युवक हर साल 9 दिनों तक निर्जला उपवास रख सिरहासार भवन स्थित एक निश्चित स्थान पर तपस्या के लिए बैठता है. इस तपस्या का मुख्य उद्देश्य दशहरा पर्व को शांतिपूर्वक व निर्बाध रूप से संपन्न कराना होता है.

बस्तर दशहरा की जोगी बिठाई रस्म

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जोगी बिठाई रस्म की कथा:जोगी बिठाई रस्म में जोगी से तात्पर्य योगी से है, इस रस्म से एक किवदंती जुड़ी हुई है. मान्यताओं के अनुसार सालों पहले दशहरे के दौरान हल्बा जाति का एक युवक जगदलपुर स्थित महल के नजदीक तप की मुद्रा में निर्जल उपवास पर बैठ गया था. दशहरे के दौरान 9 दिनों तक बिना कुछ खाये पिये, मौन अवस्था में युवक के बैठे होने की जानकारी जब तत्कालीन महाराज को मिली तो वह स्वयं युवक से मिलने योगी के पास पहुंचे व उससे तप पर बैठने का कारण पूछा. तब योगी ने बताया कि उसने दशहरा पर्व को निर्विघ्न व शांति पूर्वक रूप से संपन्न कराने के लिये यह तप किया है. जिसके बाद राजा ने योगी के लिये महल से कुछ दूरी पर सिरहासार भवन का निर्माण करवाकर इस परंपरा को आगे बढ़ाये रखने में सहायता की. तब से हर वर्ष अनवरत इस रस्म में जोगी बनकर हल्बा जाति का युवक 9 दिनों की तपस्या में बैठता है.

इस वर्ष भी बड़े आमाबाल निवासी दौलत राम नाग ने पहली बार जोगी बन करीब 400 सालों से चली आ रही इस परंपरा के तहत स्थानीय सिरहासार भवन में दंतेश्वरी माई व अन्य देवी देवताओं का आशीर्वाद लेकर निर्जल तपस्या शुरु की है. इस रस्म में शामिल होने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में आम लोग सिरहासार भवन में मौजूद रहे.

Last Updated : Sep 27, 2022, 12:10 PM IST

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