बस्तर: बस्तर को प्रदेश की राजधानी रायपुर से जोड़ने वाली एकमात्र ट्रेन 'जगदलपुर दुर्ग एक्सप्रेस' बीते साढ़े 3 साल से बंद (Jagdalpur Durg Express closed for three years) पड़ी है. 10 वर्ष पहले इस ट्रेन का परिचालन शुरू किया गया था. लेकिन कोरोना काल के दौरान इस ट्रेन को बंद कर दिया गया. बस्तर को लेकर बिलासपुर रेल मंडल (bilaspur railway division) की उदासीनता लगातार जारी है. 3 साल बाद भी इस ट्रेन को दोबारा चालू नहीं किया जा सका है. इसके बंद हो जाने से लोगों को शहर तक आने जाने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
जगदलपुर दुर्ग एक्सप्रेस 3 सालों से बंद, बस्तरवासी परेशान - jagdalpur railway station
बस्तर को प्रदेश की राजधानी रायपुर से जोड़ने वाली एकमात्र ट्रेन 'जगदलपुर दुर्ग एक्सप्रेस' बीते साढ़े 3 साल से बंद पड़ी है. इसके बंद हो जाने से बस्तरवासियों को शहर तक आने जाने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
"बस्तरवासियों के साथ रेल मंडल कर रहा अन्याय": बस्तर में रेल सुविधाओं की मांग करते हुए सामाजिक संगठनों ने रेल आंदोलन चलाया था. सामाजिक संगठनों ने कई मांगे बिलासपुर रेल मंडल (bilaspur railway zone) के समक्ष रखी थी. उस दौरान बिलासपुर रेल मंडल (SECR) के उच्च अधिकारियों ने मांगों को जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया था. उनका कहना है कि "दल्ली राजहरा रेल लाइन हो या जगदलपुर दुर्ग एक्सप्रेस, बस्तर के लोगों के साथ रेल मंडल ने आज तक न्याय नहीं (Bastar residents upset) किया."
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3 साल से हजारों लोग कर रहे परेशानियों का सामना: जगदलपुर से दुर्ग के बीच सप्ताह में 3 दिन चलने वाली जगदलपुर दुर्ग एक्सप्रेस का संचालन फरवरी 2019 में बंद हो गया था. ट्रेन जगदलपुर से उड़ीसा के कोरापुट, रायगड़ा, महासमुंद, रायपुर से होती हुई दुर्ग तक आती थी. इस दौरान वह 665 किलोमीटर का सफर 17 घंटे में पूरा करती थी. इतने किलोमीटर के दौरान पड़ने वाले गांवों के लोगों के लिए यह ट्रेन शहरों से जुड़ने का माध्यम था. लेकिन इसके बंद हो जाने से हजारों लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी बड़ी वजह: बस्तर से सीधे रायपुर रेल लाइन कनेक्टिविटी के अभाव में बस्तर के लोगों को उड़ीसा के रास्ते प्रदेश की राजधानी पहुंचना पड़ता था. अब यह ट्रेन भी साढ़े 3 साल से बंद पड़ी है. सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों का कहना है कि "राजनीतिक इच्छा शक्ति और राजनीतिक दलों के निष्क्रियता से भी बस्तर के लोगों को उनका हक नहीं मिल पाता है.