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गोदना कला सीख कर छत्तीसगढ़ की परंपरा को आगे बढ़ा रहे बस्तर के युवा

Bastar youth taking godna art training: बस्तर के युवा ना सिर्फ जमाने के साथ आगे बढ़ रहे हैं बल्कि अपनी संस्कृति और परंपरा को सहेजने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. बादल एकेडमी में युवा गोदना कला सीख रहे हैं ताकि इस कला को विलुप्त होने से बचाया जा सके.

godna art training organized in Bastar
बस्तर में गोदना कला प्रशिक्षण का आयोजन

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Published : Jun 5, 2022, 10:08 AM IST

बस्तर:छत्तीसगढ़ काबस्तर जिला अपनी कला और संस्कृति के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यहां के प्रत्येक क्षेत्र में अलग-अलग संस्कृति और कला देखने को मिलती है. गोदना कला भी बस्तर की संस्कृति की विशेष पहचान है. गोदना कला को संरक्षित करने की उद्देश्य से बस्तर जिला प्रशासन की पहल पर गोदना कला प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है. आसना स्थित बादल एकेडमी में गोदना विशेषज्ञ युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं. इस प्रशिक्षण का आयोजन 20 मई से 6 जून तक किया जा रहा है. बस्तर के अलग-अलग ब्लॉक से आकर युवक-युवती गोदना का प्रशिक्षण ले रहे हैं.

बस्तर में गोदना कला प्रशिक्षण का आयोजन: छत्तीसगढ़ की गोदना कला को पूरे देश में जाना जाता है. बस्तर के आदिवासी समुदाय के लोग इसे अपने शरीर के विभिन्न अंगों में छपवाते हैं. समय के साथ इस कला को लोग भुलाते गए. इसी कला को संरक्षित करने प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है. इस प्रशिक्षण में 20 युवक-युवती भाग लेकर गोदना कला सीख रहे हैं. गोदना कला विशेषज्ञ शैली ने बताया कि बस्तर के विभिन्न हिस्सों में कई तरह की कलाएं विद्यमान है. इसी में एक विशेष कला है गोदना. आज यह कला विलुप्त होने के कगार में है. जिसे प्रशिक्षण के माध्यम से संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है. इस प्रशिक्षण में कई तरह के डिजाइन बनाना भी सिखाया जा रहा है।ृ. इसके लिए कैटलॉग भी बनाया गया है.

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गोदना कला से युवाओं को रोजगार:बस्तरजिला प्रशासन की पहल पर शुरू किए गए गोदना कला प्रशिक्षण से युवाओं को रोजगार भी मिल सकेगा. प्रशिक्षण के बाद युवा बस्तर ट्राइबल टैटू स्टॉल लगा कर रुपये कमा सकेंगे. इसके लिए चित्रकोट में विशेष सेटअप भी तैयार किया जाएगा. शैली ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान ही काम मिलना शुरू हो गया है.

गोदना कला प्रशिक्षण पर बात करते हुए बस्तर कलेक्टर रजत बंसल (Bastar Collector Rajat Bansal) ने कहा कि "बादल एकेडमी में गोदना प्रशिक्षण आयोजित किया गया है. बस्तर के ऐसे कई पहलू है, जो दुनियाभर में बस्तर की अलग और अनोखी पहचान को जाहिर करते हैं. उसी पहलू में से एक है बस्तर की लोक कला और लोक संस्कृति. गोदना बस्तर की एक पारंपरिक कला है, जिसे संरक्षित करने के उद्देश्य से हमने यह पहल की है, ताकि पूरी दुनिया बस्तर की इस विशेष कला से रूबरू हो सके व बस्तर के युवाओं को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिल सके".

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