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रिटायरमेंट के बाद भी नहीं छोड़ा सिखाना, गार्डनिंग कर ये शिक्षक लोगों को कर रहा जागरूक - बेमेतरा न्यूज

शिक्षक का धर्म ही ज्ञान बांटना होता है. जो समाज को संस्कारवान बना सके वही शिक्षक है. बेमेतरा में एक ऐसे ही शिक्षक हैं, जो पर्यावरण को संरक्षण करने का ज्ञान बांट रहे हैं.

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Published : Mar 26, 2019, 4:01 AM IST

Updated : Mar 27, 2019, 11:55 AM IST


बेमेतरा: रिटायरमेंट के बाद लोगों के जीवन में निरसता आ जाती है. समय निकालना कठीन होता है. ऐसे में इस वक्त इंटरेस्टिंग बनाने शहर के एक रिटायर्ज टीचर ने अनूठी पहल की है. शिक्षक ने अपने रिटायरमेंट के बाद अपने गांव जा कर गार्डनिंग शुरु कर दी. इसके काम में उन्होंने अपनी मदद के लिए एक माली भी रखा है, जिसे वे अपने पेंशन से तनख्वा देते हैं.

हम बात कर रहे हैं जिले के शम्भपूरी मरका में रहने वाले भूषण लाल साहू की. भूषण साल 2013 में प्रधान पाठक से रिटायर्ड हो गए. तब उन्होंने सोचा की बच्चों को शिक्षा देने के बाद अब समाज को भी शिक्षित करना होगा. उनके दिमाग में एक ऐसा आइडिया आया जिससे समाज सेवा भी होगी और पर्यावरण भी शुद्ध होगा. वे अपने गांव चले गए और यहां के प्रसिध्द शिव मंदीर के इर्द-गिर्द बागवानी करने लगे. अपनी मदद के लिए उन्होंने एक माली भी लगाया है. जिसे वे हर माह अपने पेंशन से 3 हजार रुपए तनख्वा भी देते हैं.

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भूषण बताते हैं कि वे बचपन से प्रकृति प्रेमी रहे हैं. इसलिए उन्होंने इस काम को चुना है. इससे उनका समय भी काफी अच्छे से व्यतीत होता है. भूषण कहते हैं कि शिक्षक का धर्म ही ज्ञान बांटना होता है. जो समाज को संस्कारवान बना सके वही शिक्षक है. मैं सेवा समाप्त कर चुके शिक्षको और युवा पीढ़ी से पौधे लगाने की अपील करता हूं, जिससे हरियाली बरकरार रहे. 1 वृक्ष 100 बेटे के समान होता है.

Last Updated : Mar 27, 2019, 11:55 AM IST

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