दुर्ग : जंगलों में मिलने वाला सीताफल अब बगान तक पहुंच चुका है. बेहद ही गुणकारी इस फल की अत्याधुनिक तरीके से न सिर्फ खेती हो रही है बल्कि जल्द ही सीताफल से बने चॉकलेट,शेक,रबड़ी और शराब भी तैयार होगा. इसका प्रोसेसिंग यूनिट महाराष्ट्र में तैयार होने वाला है. सीताफल की खेती से जुड़े उन्नत किसानों का एक दल महाराष्ट्र से दुर्ग पहुंचा. जहां एशिया के सबसे बड़े बागान धौराभाठा में खेती का जायजा (Asia largest sitaphal farm in durg ) लिया.
बागवानी से किसान कमा रहे लाभ :ट्रेडिशनल खेती में नुकसान को देखते हुये बहुत से किसान अब सीधे बागवानी से जुड़ने लगे हैं. दुर्ग जिले के उन्नत किसान अनिल शर्मा भी दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. अनिल शर्मा धौराभाठा में 180 एकड़ में हाइब्रिड सीताफल की खेती कर रहे हैं. जहां इस खेती में पूरी तरह से जैविक है. जिले में एशिया का सबसे बड़ा सीताफल का बगान है. इस बगान के संचालक अनिल शर्मा ने पहले महाराष्ट्र के इन किसानों से खेती के लिए प्रशिक्षण लेकर जैविक सीताफल की खेती करनी शुरूआत की.अब प्रशिक्षण देने वाले महाराष्ट्र के किसान इनसे प्रशिक्षण लेने उनके बगान पहुंचे (Farmers of Maharashtra learned technology in durg) हैं.
शुरुआत में हुआ नुकसान :शुरूआत में तो अनिल शर्मा को नुकसान झेलना पड़ा. लेकिन उनके बगान से अब छग के आलावा ओडिशा और झारखंड तक इनके सीताफल की डिमांड है. एस जे फार्म के संचालक अनिल शर्मा ने बताया कि '' महाराष्ट्र में सीताफल के खेती को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र सरकार 20 सालों से कार्य कर रही है. जहां अब सीताफल प्रोसेसिंग यूनिट भी आरंभ होने जा रही है. इस यूनिट से सीताफल के शेक, रबड़ी, चॉकलेट के साथ साथ इससे शराब भी तैयार होने जा रही है. छत्तीसगढ़ सरकार भी खेती और उपज को लेकर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. लेकिन सीताफल के बागवानी से भी कृषक मुनाफा कमा सकते हैं.''
महाराष्ट्र में सीताफल से बनाई जा रही है शराब,केंद्रीय मंत्री ने किया टेस्ट : इधर महाराष्ट्र से पहुंचे किसान विनय बोथरा ने बताया कि '' महाराष्ट्र में 1लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सीताफल की खेती वर्तमान में की जा रही है. क्योंकि किसानों को रिटर्न देने वाला ये क्रॉप है. छत्तीसगढ़ की जलवायु में अंतर जरूर है. लेकिन जिस तरह से छग में अनिल शर्मा ने इस खेती को उन्नत किया है. उसी तरह यहां के किसान भी यदि मेहनत करे तो निश्चित ही छत्तीसगढ़ से भी सीताफल देश विदेश भेजा जा सकता हैं.
वहीं अनिल बोंडे ने बताया कि ''महाराष्ट्र में सीताफल का प्रोसेसिंग यूनिट तैयार किया जा रहा जिससे सीताफल से शेक,रबड़ी,चॉकलेट के साथ साथ शराब भी तैयार किया जाएगा. सीताफल से बनी शराब को केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने टेस्ट भी किया है.''
जंगलों से बागानों तक पहुंची सीताफल,किसान करे सीताफल की खेती : जंगलों और गांव की बाड़ियों में फलने वाले सीताफल आमतौर पर छोटे होते हैं. लेकिन हाइब्रिड फॉर्मिग से उत्पादित एक सीताफल का वजन आधे से एक किलो तक का होता है. जिसकी कीमत भी बाजार में अच्छी है. ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसान भी सीताफल की फॉर्मिग करे तो निश्चित रूप से उन्हें मुनाफा होगा. क्योंकि सीताफल के पेड़ की एक और खूबी ये है कि सीताफल के पेड़ करीब 100 सालों तक जीवित रहते हैं.Durg latest news