धमतरी:जिले के मुजगहन गांव की रहने वाली एक ऐसी ही बेटी इन दिनों दूसरी लड़कियों के लिए मिसाल बन रही है. इस लड़की का नाम द्रौपदी नाग है. लोग उन्हें प्यार से रानू के नाम से पुकारते हैं. ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. 8 साल पहले पिता का देहांत हो गया था. परिवार की जिम्मेदारी उनके मां के कंधों पर आ गई. चूंकि मां महिला समूह से जुड़ी थी, लिहाजा उनको ऑटो चलाने की ट्रेनिंग करने का मौका मिला. शासन की ओर से अनुदान में ऑटो भी मिल गई. उम्रदराज होकर भी वह ऑटो चलाया करती थीं. जिसे देखकर द्रोपती ने फैसला लिया कि वह खुद ऑटो चलाएगी.
ऑटो चलाने में माहिर है द्रोपदी नाग
द्रौपदी ऑटो चलाने में माहिर है. न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी ऑटो की सवारी करते हैं. सुबह 10 बजे से लेकर रात 9 बजे तक द्रौपदी शहर में ऑटो चलाने का काम करती है. द्रौपदी बताती हैं कि वे 12 वीं तक ही पढ़ाई कर पाईं हैं. परिवार की माली हालत उतनी अच्छी नहीं थी कि आगे की पढ़ाई कर पाए. वह पिछले 4 सालों से शहर में ऑटो चला रही है. हालांकि ये काम उन्हें अच्छा नहीं लगता है लेकिन मजबूरी में ऑटो चलाना पड़ रहा है. इस काम से दिनभर में 400 से 500 रुपये तक की कमाई हो जाती है. महिलाएं अपने आपको कमजोर न समझें और हर काम में फोकस करें.
नहीं मिल रहा शासन की योजनाओं का लाभ
द्रौपदी की मां राधा नाग गांव में छोटी-मोटी मजदूरी का काम का करती हैं. उन्होंने बताया कि घर में उनके अलावा दो बेटियां और हैं, जिनकी शादियां हो गई है. पति के गुजर जाने के बाद उनके सामने जीवनयापन करने की बड़ी चुनौती थी, लेकिन उनकी बेटी ने ऑटो चलाकर परिवार की मुश्किलें कम कर दी है. निराश्रित पेंशन के अलावा शासन की ओर से सिर्फ राशन मिलता है जबकि अन्य योजना जैसे पीएम आवास, उज्ज्वला योजना और शौचालय की राशि नसीब ही नहीं हुई.