बिलासपुरः सर्प कन्या (snake girl) के नाम से मशहूर और अपनी अलग पहचान बनाने वाली अजिता पांडेय ने गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड (golden book of records) में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं. घर, दुकान और दूसरे सार्वजनिक स्थलों (public places) से जहरीले सर्पों को पलक झपकते ही दबोच लेने वाली अजिता के काम ने उन्हें पूरे प्रदेश में अलग पहचान दिला दी है.
छत्तीसगढ़ की 'सर्प कन्या' अजिता सर्पों को पकड़ने के काम को केवल सांपों को संरक्षित (protected) करने के लिए ही शुरू किया है. वह सर्पों (snakes) को इस लिए भी पकड़ती हैं कि किसी जहरीले सर्प (poisonous snake) की दंश से किसी की असमय मौत न होने पाए. कई बार इंसान का सर्पों से रूबरू होते ही वह सबसे पहले उसे मारने की सोचता है ताकि इस सांप से उसे उसके शुभेच्छुओं (well wishers) का किसी प्रकार का नुकसान न होने पाए. बिलासपुर की लड़की अजीता पांडे ने इन सांपों को संरक्षित करने और उनकी अकाल मृत्यु (Death) को रोकने की मंशा से ही रेस्क्यू (rescue) शुरू किया है. वह ऐसे स्थानों से सर्पों को पकड़ कर निर्जन और सुरक्षित स्थानों पर उन्हें छोड़ देती हैं.
वैसे तो जहरीले और खतरनाक जानवरों से हर कोई नफरत करता है और अपने बचाव के लिए कभी-कभी उनकी जान भी ले लेता है. कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जो उन्हें बंधक बनाकर उनकी नुमाइश कर अपना जीवन यापन करते हैं. जन्म से लेकर अंतिम सांस तक वह लोगों का रोजगार का साधन मात्र बने रहते हैं, लेकिन बिलासपुर की अजिता पांडे ने इन्हें प्राकृतिक रूप से जीवन जीने और उनकी जीवन को बचाने के लिए जहरीले और बिना जहरीले वाले सांपों को पकड़ कर उन्हें एक तरह से सुरक्षित और उनका संरक्षण करती हैं.
प्रकृति प्रेम के सामने घर वालों ने भी टेक दिए अपने घुटने
अजिता ने बताया कि 4 साल से भी ज्यादा का समय हो गया है सांपों को पकड़ने और सुरक्षित स्थान पर छोड़ते हुए. उन्हें फोन पर सांप निकलने की जानकारी जैसे ही मिलती है, वह वहां पहुंच जाती हैं. अजिता ने बताया कि अब तक वह 1000 से भी ज्यादा सांपों को पकड़ कर जंगल में छोड़ चुकी हैं. यह शौक उनको बचपन से है. शुरूआती दौर में घरवालों ने इसका खूब विरोध किया था लेकिन अजिता के सांपों के प्रति विचार और प्रकृति के प्रति गहरे लगाव को देखते हुए उन्होंने भी विरोध का कदम पीछे खींच लिया. अजिता ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सिर्फ चार किस्म के ऐसे सांप हैं, जिन में जहर होता है. उनके काटने से इंसानी मौत हो जाती है. बाकी के सांप बिना जहर वाले होते हैं और जिन में थोड़ा बहुत जहर होता है. वह उससे केवल चूहा या वैसे ही छोटे जानवर मरते हैं इंसान नहीं.
सांपों के प्रति नफरत मिटाने की शुरू हो चुका है मुहिम
अजिता ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व सपेरे सांपों को लेकर उनके घर आए थे. उन्हें देख कर उनके मन में जानने की जिज्ञासा हुई. यूट्यूब, समाचार पत्र, पुस्तक आदि के माध्यम से उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की कोशिश की. जिसमें पता चला कि चार प्रकार से सांप ऐसे होते हैं जो जहरीले होते हैं. बाकी के नहीं. कुछ लोग सांपों को मार देते हैं. लोगों के डर को दूर करने, सांप के प्रति नफरत को मिटाने और उनके बीच जागरूकता फैलाने के लिए ही इस काम को अजिता ने चुना है. वह सांपों की हरकत और उनके मुंह के पास देख कर जान जाती हैं कि वह जहरीला है या नहीं.
सांपों के लिए दूध है जानलेवा
अजिता ने बताया कि सांपों के अंदर हड्डियां नहीं होती. इस लिए उन्हें कैल्शियम की जरूरत नहीं होती. यदि सांपों को दूध पिलाया जाता है तो उनकी मृत्यु भी हो जाती है. इस लिए सांपों को दूध नहीं पिलाना चाहिए. अजिता ने कहा कि धर्म के प्रति लोगों की आस्था है कि सांपों को दूध पिलाने से पुण्य मिलता है. जबकि सांप दूध नहीं पीते. यदि उन्हें पिलाया गया तो उनकी असमय मृत्यु हो जाती है. अजिता मानती हैं कि जिस तरह इस धरती पर सभी को जीने का हक मिला है, उसी तरह सांपों को भी अपनी जिंदगी बिताने का अवसर मिला है. उन्हें असमय नहीं मारना चाहिए. यदि ऐसा कोई करता है तो उसे नहीं करना चाहिए. अजिता की ख्याति की बात करें तो छत्तीसगढ़ प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी लोग अब उन्हें जानने लगे हैं. वह यूट्यूब के माध्यम से लोगों को बताती हैं कि सांप जहरीले और बिना जहर वाले होते हैं और सांपों को कैसे संरक्षित किया जाए. अजिता के इस काम से जहां सांपों को संरक्षण मिल रहा है वहीं परिवार वाले भी उसके इस काम से खुश हैं.