बिलासपुर:छत्तीसगढ़ मेंदेवउठनी एकादशी के बाद से ही यदुवंशियों का राउत नाचा Raut Nacha Festival in Bilaspur शुरू हो जाता है. बिलासपुर में शनिवार को प्रदेश का सबसे बड़ा राउत नाचा (Raut Nacha) का आयोजन हुआ. जिसमें सैंकड़ों मंडलियों ने राउत नाचा पेश किया. बिलासपुर में पिछले 44 सालों से राउत नाचा महोत्सव (Raut Nacha Festival since 44 years) का आयोजन किया जा रहा है. शहर के शनिचरी बाजार स्थित लालबहादूर शास्त्री स्कूल मैदान में महोत्सव का आयोजन किया गया. जिसमें हजारों दर्शकों ने राउत नाचा महोत्सव का आनंद उठाया.
यदुवंशी क्यों करते हैं राउत नाचा
रावत नाचा महोत्सव के संयोजक डॉक्टर कालीचरण यादव ने बताया कि अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार कुछ कथाएं प्रचलित हैं. जिनमें राउत नाचा को लेकर कई तरह की बातें बताई गई है. एक बात यह है कि 'जब फसल कटता है उसके बाद यदुवंशी खुश होकर अच्छे फसल के लिए भगवान का आभार प्रकट करते हैं और आने वाले सालों में उन्हें धन-धान्य का आशीर्वाद भगवान दे ये कामना कर नाचते हैं.
कंस का वध करने के बाद श्री कृष्ण ने किया नृत्य
दूसरी कथा यह भी प्रचलित है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध किया था. उस समय कंस के शासनकाल में जनता बहुत परेशान थी. वे कंस से बहुत ज्यादा डरते थे. लेकिन जब भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध किया तो लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि कंस मारा गया और वह अपने घर में दुबके बैठे थे, तब कृष्ण ने अपने साथियों के साथ मिलकर हाथ में लाठी लेकर पूरे नगर में नृत्य करते हुए लोगों को यह बताया कि उन्होंने कंस का वध कर दिया है. इस खुशी में वे और उनके साथी नृत्य कर रहे हैं.
कहानी और कथाएं तो राउत नाच को लेकर बहुत सारी है. लेकिन आज के समय में राउत नाच महोत्सव एक परंपरा के रूप में भी मनाया जाने लगा है. यदुवंशी राउत नाच महोत्सव की तैयारी महीनों से करते हैं और यहां आकर प्रस्तुति देकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं.
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