बिलासपुर : प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पताल के डॉक्टर मरीजों को प्रिस्क्रिप्शन में जैनेरिक दवाइयां नहीं लिख रहे हैं. मामले को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगी है. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने दस सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए(petition regarding generic medicine in chhattisgarh) है. राज्य के शासकीय और निजी अस्पतालों में डॉक्टर जेनरिक दवा लिखने के बजाए ब्रांडेड कंपनियों की दवाइयां मरीजों को लिखते है. जिससे चिकित्सा महंगी होते जा रही है. याचिका में बताया गया है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने सेवारत डॉक्टरों के लिए जैनेरिक दवाइयां लिखना अनिवार्य कर दिया है. फिर भी इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में जैनेरिक दवा नहीं लिख रहे डॉक्टर, हाईकोर्ट में लगी जनहित याचिका - RTI Activist Laxmi Chauhan
बिलासपुर हाईकोर्ट में जैनेरिक दवा के प्रिस्क्रिप्शन को लेकर जनहित याचिका लगाई गई (Public Interest Litigation in Bilaspur High Court) है. जिसे कोर्ट ने मंजूर करते हुए शासन को जवाब देने के लिए कहा है.
किसने लगाई है याचिका :इस मामले में चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस आरसीएस सामंत की डिवीजन बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दस सप्ताह में जवाब मांगा है. कोरबा के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट लक्ष्मी चौहान (RTI Activist Laxmi Chauhan) ने अधिवक्ता संजय अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. इसमें बताया गया है कि केंद्र सरकार के निर्देश पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने 2016 में डॉक्टरों को जैनेरिक दवाइयों की अनिवार्यता के संबंध में दिशानिर्देश जारी किया था. इसके बाद 21 अप्रैल 2017 को नोटिफिकेशन जारी हुआ था. इसके अनुसार सभी शासकीय और प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों को सिर्फ जैनेरिक दवाइयां ही लिखने का प्रावधान है. इसके साथ ही जैनेरिक दवाइयां उपयोग करने का भी निर्देश दिया गया हैं.
याचिका में क्या :एमसीआई के नोटिफिकेशन के अनुसार फिजिशियन को कैपिटल लेटर में सिर्फ जेनरिक दवाओं का नाम ही लिखना है, लेकिन प्रदेश में इसका पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में एमसीआई गाइडलाइन का पालन कराने की मांग की गई है. आदेश का पालन नहीं करने वाले डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द किया जाए. एक्टिविस्ट लक्ष्मी चौहान ने बताया है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (Medical Council of India) ने नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया है कि जैनेरिक दवाइयों का नाम नहीं लिखना पेशेवर कदाचरण, शिष्टाचार नैतिकता नियम 2002 के खिलाफ है,लिहाजा इस तरह से कदाचरण करने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई की जाए और उनका लाइसेंस निरस्त किया जाए. ताकि, मेडिकल काउंसिल के दिशा निर्देशों का पालन हो सके.