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छत्तीसगढ़ में ऑर्गेन ट्रांसप्लांट के नियमों पर हाईकोर्ट में लगी जनहित याचिका - organ transplant rule in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के नियमों के लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है.जिसमें कोर्ट ने ट्रांसप्लांट कार्यक्रम शुरु करने के बाद सुनवाई की बात कही है.

Public interest litigation in High Court on the rules of organ transplant in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में ऑर्गेन ट्रांसप्लांट के नियमों पर हाईकोर्ट में लगी जनहित याचिका

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Published : Aug 18, 2022, 11:57 AM IST

बिलासपुर :लीवर ट्रांसप्लांट की महिला मरीज द्वारा पेश जनहित याचिका पर बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई ( Public interest litigation in High Court on the rules of organ transplant in Chhattisgarh) हुई. सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट (bilaspur highcourt) ने राज्य में अगले 3 सप्ताह में कैडेवर ट्रांसप्लांट कार्यक्रम सक्रिय करने के निर्देश दिया (bilaspur news) है. कोर्ट 3 सप्ताह बाद ही अगली सुनवाई निर्धारित करने की बात कही है. राज्य सरकार को अब 3 सप्ताह में ऑर्गन कैडेवर ट्रांसप्लांट कार्यक्रम शुरू करने होंगे. तब कोर्ट की अगली सुनवाई की तारीख तय की जाने की बात कोर्ट ने कही है. इस मामले में एडिशनल एजी ने कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से बयान दिया है.

क्या है मामला :बिलासपुर में रहने वाली आभा सक्सेना को स्वयं लिवर ट्रांसप्लांट कराना (organ transplant in Chhattisgarh) है. उन्होंने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की. याचिका में बताया कि राज्य भर में 250 ऐसे मरीज हैं जिन्हें किडनी,लंग्स, कार्निया, लीवर, हार्ट में से किसी एक की जरूरत है. केवल लाइव डोनर मतलब कोई रक्त संबंधी इसे दे सकता है, या एक ब्रेन डेड घोषित व्यक्ति से ही लेकर यह ट्रांसप्लांट हो सकता है. याचिका में बताया गया है कि एक व्यक्ति आठ अलग-अलग लोगों का जीवन बचा सकता है. राज्य में सिर्फ लाइव डोनर ट्रांसप्लांट हो सकता है लेकिन ब्रेन डेड ट्रांसप्लांट कराने की कोई व्यवस्था नहीं है.

ब्रेन डेड डोनर के लिए अलग से होना चाहिए सेल :ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एक्ट केंद्र सरकार ने वर्ष 1994 में पारित कर इसे 2011 में संशोधित कर दिया. छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे स्वीकृत किया है.लेकिन यहां सिर्फ लाइव डोनर ट्रांसप्लांट हो सकता (organ transplant rule in Chhattisgarh) है. ब्रेन डेड के लिए अलग से सेल बनाना होगा. राज्य में इसके लिए सोटो का गठन दूसरे राज्यों की तरह 1 साल पहले हो चुका है. इसके बाद भी डायरेक्टर और ज्वाइन डायरेक्टर को छोड़कर इसमें कोई और नहीं है, ना कोई दफ्तर बना है. इससे राज्य सरकार की इस ओर ध्यान नहीं देना लापरवाही माना जा सकता है.

ट्रांसप्लांट शुरू होने के बाद होगी सुनवाई :हाईकोर्ट ने पहले सुनवाई में केंद्र और राज्य शासन को नोटिस जारी कर 17 अगस्त तक जवाब मांगा था. बुधवार को हुई सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्य में अगले 3 सप्ताह में कैडेवर ट्रांसप्लांट कार्यक्रम सक्रिय हो जाएगा. कोर्ट ने कहा जनहित याचिका में सभी प्रार्थना को स्वीकार किया जाना है. चीफ जस्टिस ने इसे 3 सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है, लेकिन कोर्ट ने कैडेवर ट्रांसप्लांट शुरू होने के बाद तारीख तय करने की बात कही है.

राज्य की ओर से एडिशनल एजी का जवाब :चीफ जस्टिस की डीपी में हुई सुनवाई में राज्य के एडिशनल एजी राघवेंद्र प्रधान ने कोर्ट में जो सबमिशन दिया.उसके अनुसार सोटो (स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन) के लिए हर साल आवर्ती 46 लाख रुपए की केंद्रीय फंडिंग जारी की जाती है, जो अभी जारी हो गई है. ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए 2011 अधिनियम के तहत नियम अधिसूचित हो चुका है. इसकी कॉपी कोर्ट में पेश की जाएगी. राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित मानक संचालन प्रक्रिया SOP मरीजों के पंजीकरण अंगों के आवंटन के लिए है. इसके आवेदन को मंजूरी मिल गई है. इस प्रक्रिया के लिए निर्धारित अस्पतालों का पंजीयन जारी है, जो अगले दो-तीन सप्ताह में पूरा हो जाएगा.

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