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बिलासपुर में आत्मानंद इंग्लिश महाविद्यालय का विरोध - अंग्रेजी माध्यम कॉलेज

बिलासपुर में विज्ञान महाविद्यालय को आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम महाविद्यालय में परिवर्तित करने का विरोध शुरू हो गया है. इसके विरोध में छात्र अब लामबंद हो रहे हैं. इस मामले में छात्रों ने अपनी कुछ मांगे भी प्रशासन के समक्ष रखा है.

Opposition to the decision to form Atmanand English College
आत्मानंद इंग्लिश कॉलेज का विरोध

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Published : Sep 6, 2022, 11:11 PM IST

बिलासपुर:सबसे पुराने विज्ञान महाविद्यालय को आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम महाविद्यालय में परिवर्तित करने के घोषणा के विरोध में छात्र लामबंद (Atmanand English College in bilaspur) हो गए हैं. निर्णय का चौतरफा विरोध शुरू हो गया है. छात्रों ने इसके लिए ई राघवेंद्र राव विज्ञान महाविद्यालय (साइंस कॉलेज) बचाओ मुहिम शुरू किया है. ई राघवेंद्र राव महाविद्यालय को बचाने के लिए छात्र लोगों का समर्थन मांग रहे हैं. शासन से भी निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग कर रहे हैं. सहमति और असहमति को लेकर अब छात्रों पर दबाव भी बनाया जा रहा है. इन सभी मामले के बीच छात्र नेताओं ने अध्यापन कार्य बंद कर दिया है.

आत्मानंद इंग्लिश कॉलेज का विरोध

क्यों हो रहा विरोध: शहर में 1972 से संचालित विज्ञान महाविद्यालय जिसे ई राघवेंद्र स्नातकोत्तर विज्ञान महाविद्यालय के नाम से जाना जाता है. राज्य सरकार ने इसे इस सत्र से आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम महाविद्यालय में परिवर्तित करने की घोषणा की है. जिसके बाद शासन व महाविद्यालय स्तर पर इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. शासन की मंशा है कि गरीब बच्चो को अंग्रेजी की शिक्षा मुफ्त मिले. यही कारण है कि राज्य सरकार प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलने के बाद अब अंग्रेजी माध्यम कॉलेज खोलने जा रही है.

सहमति पत्र भरवा रही सरकार:राज्य सरकार की घोषणा के बाद उच्च शिक्षा विभाग अब ई राघवेंद्र राव महाविद्यालय के तमाम शिक्षकों और विद्यार्थियों से सहमति असहमति पत्र भरवा रही है. राज्य सरकार की मंशा है कि जिन छात्रों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई नहीं करनी है वे असहमति देंगे, तो उन्हें शहर के दूसरे महाविद्यालय में शासकीय तौर पर भर्ती करवाया जाएगा. जिससे उन्हें न तो कोई एडमिशन खर्च लगेगा और न ही उन्हें कोई परेशानी होगी. इसके साथ ही शिक्षकों को भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा बनाया गया है.


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दबाव डालकर फार्म भरवाने का आरोप:इस मामले में छात्रों ने दबाव बनाने का आरोप लगाया है. जबकि छात्र विज्ञान महाविद्यालय को अंग्रेजी माध्यम महाविद्यालय बनाने के पक्ष में नहीं हैं. इसके विरोध में छात्र अब लामबंद हो रहे हैं. निर्णय का चौतरफा विरोध शुरू हो गया है. छात्रों ने इसके लिए विज्ञान महाविद्यालय बचाओ मुहिम शुरू किया है. महाविद्यालय को बचाने के लिए छात्र लोगों का समर्थन मांग रहे हैं. शासन से भी निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग कर रहे हैं.

यह है छात्रों की मांगे: छात्रों का कहना है कि विज्ञान महाविद्यालय में अधिकांश छात्र ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं. जो शुरू से हिंदी माध्यम के जरिए अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. हजारों छात्रों ने हिंदी माध्यम से ही कॉलेज में एडमिशन लिया है. ऐसे में अचानक से कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम करने से इसका असर उनके पढ़ाई और करियर पर पड़ेगा. दूसरी ओर अगर दूसरे हिंदी माध्यम कॉलेज में उन्हें शिफ्ट किया जाएगा तब भी उनका पढ़ाई प्रभावित होगा. उनकी मांग है कि यदि कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम किया भी जाता है. तो फिर दो पालियों में हिंदी माध्यम और अंग्रेजी माध्यम की अलग अलग पढ़ाई हो.

छात्रों की मांग से शासन को कराया जाएगा अवगत: छात्रों की मांग और विरोध को लेकर महाविद्यालय प्रशासन ने कहा कि "छात्रों के विरोध और मांग के बीच महाविद्यालय शासन के निर्देशों के तहत अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है." इस मामले में कॉलेज के प्राचार्य ने कहा कि "छात्रों व शिक्षकों से सहमति असहमति पत्र लिया जा रहा है. शासन स्तर पर होना है, ऐसे में छात्रों के मांग से शासन को अवगत कराया जा रहा है.अभी शासन स्तर पर कार्रवाई तो शुरू कर दी गई है. लेकिन इसमें छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए ही कार्रवाई की जाएगी.

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