बिलासपुर : कानन पेंडारी जू प्रबंधन (Kanan Pendari Zoo of bilaspur) ने लंपी वायरस से निपटने के लिए व्यवस्था बनानी शुरू कर दी है. फिलहाल लंपी वायरस का प्रकोप छत्तीसगढ़ में नहीं है. फिर भी एहतियातन कानन पेंडारी जू प्रबंधन और एटीआर ने इसके लिए पहले से तैयारी कर ली है. जिला प्रशासन ने भी लंपी वायरस से निपटने के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया है. जिले के गायों को लंपी वायरस से बचाव के लिए टीका लगाया जा रहा है. इसके साथ ही जिले में लगने वाले मवेशी बाजार पर भी रोक लगा दी गई है. वेटनरी डिपार्टमेंट टीकाकरण अभियान को जोर शोर से चला रही है.
छत्तीसगढ़ में लंपी वायरस को लेकर तैयारी :लंपी वायरस का प्रकोप भारत में बढ़ता जा रहा है. यह वायरस अधिकतर गायों में पाया जा रहा है. इस वायरस की चपेट में आकर कई गायों की मौत हो चुकी है. छत्तीसगढ़ में अब तक लंपी वायरस का केस सामने नहीं आया है.लेकिन दूसरे राज्यों में इस वायरस ने कहर बरपाया है. जिसके बाद छत्तीसगढ़ के पशुपालकों के मन में इस वायरस का डर बना हुआ है. वहीं गायों के बाद अब लंपी वायरस का खतरा दूसरे जानवरों में भी देखा जा रहा है. पिछले दिनों राजस्थान के पलामू टाइगर रिजर्व में हिरणों पर लंपी वायरस के प्रकोप के बाद पलामू टाइगर रिजर्व ने अलर्ट जारी किया है. इस मामले में छत्तीसगढ़ अभी सुरक्षित है. लेकिन प्रदेश सरकार ने इससे निपटने तैयारी कर ली है. बिलासपुर में भी लंपी वायरस (Lumpy skin disease ) से निपटने के लिए पहले ही अलर्ट जारी हो चुका है.
कानन पेंडारी में अलर्ट पर प्रबंधन :राजस्थान के पलामू टाइगर रिजर्व के हिरणों पर लंपी वायरस (lumpi virus symptoms ) की जानकारी के बाद बिलासपुर के कानन पेंडारी जू को सुरक्षित रखने व्यवस्था शुरू कर दी गई है. प्रबंधन ने हिरणों को बाड़े में रखने के अलावा कानन जू के चारों तरफ बने बाउंड्रीवॉल और सभी प्रवेश द्वारों को सुरक्षित कर लिया है. ताकि कोई भी बाहरी जानवर कानन जू में प्रवेश न कर सके. कानन प्रबंधन ने हिरणों की देखरेख बढ़ा दी है. साथ ही हर तीन माह में उन्हें बीमारी और वायरस से बचाव के लगने वाले जनरल टिका लगाने में गंभीरता बरत रही है. बाड़े में बंद हिरणों की गतिविधियों पर भी नजर बनाए हुए है ताकि किसी भी जानवर की तबीयत बिगड़े तो उसे अलग करके तुरंत इलाज किया जा सके.अब तक की जानकारी में लंपी वायरस गायों में ही देखी गई है. जबकि भैंस या अन्य दूसरे जानवरों पर लंपी का प्रकोप नहीं देखा गया है.
कानन पेंडारी में कितने जानवर :कानन पेंडारी जू में हिरणों के 12 प्रजाति के लगभग 200 से भी ज्यादा जानवर हैं. इनमें बारहसिंघा, चौसिंघा, स्प्रिंग हिरण, इंडियन गजैल, नीलगाय, कोटरी जैसे हिरण के लगभग 12 प्रजाति के जानवर हैं. इन्हें अलग-अलग बड़ों में रखा गया है. साथ ही इनकी देखरेख कैमरे की नजर से भी की जा रही है. यदि लंपी वायरस का प्रकोप कानन पेंडारी जू में हुआ तो यहां 200 से ज्यादा हिरण और अन्य जानवर है जिन पर खतरा मंडराने लगेगा, इसलिए कानन प्रबंधन ने प्रिकॉशन के तौर पर अभी से ही जानवरों की देखरेख और सुरक्षा बढ़ाई है.