बिलासपुर: शहरों में अक्सर आपने देखा होगा कि कई लावारिस जानवर बीमार और दुर्घटना में जख्मी हालत में पड़े रहते हैं. ऐसे जानवर इसी हालात में वहीं पड़े पड़े मर भी जाते हैं. इनके मरने पर किसी को रत्ती भर फर्क भी नहीं पड़ता. ऐसे जानवरो की चिंता करने का किसी के पास समय नहीं है. लेकिन बिलासपुर की निधि तिवारी जानवरों की मसीहा बनकर सामने आईं हैं. निधि ने लावारिस जानवरों की रक्षा करने के साथ उन्हें अच्छा जीवन देने का बीड़ा उठाया है. बिलासपुर के कुदुदंड शिव चौक में रहने वाली निधि तिवारी ने अपने खर्च से जानवरों के लिए घर में रहने की व्यवस्था की है. Nidhi Tiwari messiah for abandoned animals
मेनका गांधी की मदद से भी कई जानवरों का हो सका रेस्क्यू: निधि तिवारी ने बताया कि ''अक्सर बीमार और घायल जानवरों की सूचना आम लोग देते हैं. सूचना पाकर जाकर जानवर का रेस्क्यू कर उन्हें अपने घर लाती हूं. कई बार ऐसी जानकारी भी मिली है, जिसमें जानवर का रेस्क्यू करने के लिए पुलिस और वन विभाग की जरूरत पढ़ती है, तब उनसे सहायता लेती हूं. कुछ मामलों को याद करते हुए निधि ने बताया कि एक मंदिर में छोटे से बकरे की बलि दी जा रही थी, तब इसे रोकने उन्हें पुलिस की जरूरत पड़ी. इस मामले में पुलिस ने भी उनकी सहायता नहीं की, तब उन्होंने मेनका गांधी को फोन कर बताया. इसके बाद पुलिस ने उनकी सहायता कर बलि दिए जा रहे बकरे को छुड़वाया था. इसी तरह कुत्ते को बांधकर मारने के मामले में भी मेनका गांधी की सहायता मिली थी.
अपने खर्च पर लावारिस जानवर का इलाज:लावारिस जानवर अकसर सड़कों पर दुर्घटना और बीमार स्थिति में पड़े मिलते हैं. उन्हें लाकर निधि खुद के खर्च से इलाज कराती हैं. निधि ने बताया कि, '' कई बार जानवरों की स्थिति इतनी खराब रहती है कि उन्हें ठीक करने में काफी पैसे खर्च हो जाते हैं. कई जानवरों के इलाज में तो 25 से 30 हजार रुपए तक खर्च किए हैं.'' निधि का कहना है कि इंस्टाग्राम पेज पर एक लाख से भी ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं. वह कभी कभी छोटी मोटी रकम उसे देते हैं, जिससे भी काफी मदद मिलती है. महीने में लगभग डेढ़ से 2 लाख रुपए जानवरों की सेवा और इलाज में खर्च होते हैं. निधि की गांव में खेती की जमीन है. वह संपन्न किसान परिवार से है. खेती से मिलने वाले पैसे से वह जानवरों का इलाज कराती है.