बिलासपुर :बिलासा एयरपोर्ट के लिए 4 सी लाइसेंस की मांग और नाइट लैंडिंग सुविधा की मांग सालों से की जा रही है. केंद्र सरकार ने कुछ एयरवेज कंपनियों से अनुबंध करके फ्लाइट शुरू की है. लेकिन अभी भी नाईट लैंडिंग की सुविधा यहां नही है. इस मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है. अब एयरपोर्ट की जमीन को एएआई अपनी बताकर इसे हस्तांतरित करने की मांग राज्य से कर रहा है. वहीं हवाई सुविधा के लिए संघर्ष कर रही समिति ने इस जमीन को एयरपोर्ट और राज्य सरकार की जमीन बता रही (Center told the land as its own) है.
क्या है नई परेशानी :बिलासपुर में अभी नियमित विमान सेवा ठीक से शुरू भी नही हो पाई है और इसमें एक नया बखेड़ा शुरू हो गया है. जिस जमीन में एयरपोर्ट है उस जमीन को नागरिक उड्डयन मंत्री ने एएआई की बताते हुए राज्य सरकार से इसे एएआई को सौंपने को कहा है. अब ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार एयरपोर्ट विस्तार करना तो दूर जमीन के लिए एक दूसरे के सामने खड़े हो गए हैं.
क्या होगा अब नुकसान :इस मामले में तीन साल से नियमित विमान सेवा और नाईट लैंडिंग सुविधा की मांग के लिए धरना प्रदर्शन कर रही हवाई सुविधा जनसंघर्ष समिति ने दोनों सरकारों को कई दस्तावेजों की जानकारी (Air Suvidha Jan Sangharsh Committee presented the argument) दी. जिसमे साबित हो रहा है कि यह जमीन राज्य की है. सुविधा बढ़ने की बजाए एयरपोर्ट अब दो सरकारों की लड़ाई में न फंस जाए. ऐसे अंदेशा अब संघर्ष समिति को लगने लगा है.
किसकी है जमीन :हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति के समन्वयक एडवोकेट सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि ''हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा दिए गए उस बयान पर वस्तुस्थिति साफ है. जिसमें मंत्री ने बिलासपुर एयरपोर्ट की मूल जमीन लगभग 385 एकड़ को एएआई की संपत्ति बताते हुए राज्य सरकार से उसे हस्तांतरित करने की मांग की है. उस जमीन में पूर्णता राज्य सरकार का अधिकार है. इस संबंध में मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड में (State land in misal settlement record) केंद्र सरकार ने 1966 में जारी आदेश में स्पष्ट उल्लेख है. बिलासपुर एयरपोर्ट रॉयल ब्रिटिश आर्मी ने 1942 में बनाया था. आजादी के बाद यह केंद्र सरकार को व्यवस्थापन के लिए हस्तांतरित हो गया. लेकिन भारत सरकार ने यहां आर्मी या वायु सेना का केंद्र नहीं बनाया. इसलिए 1966 में एयरपोर्ट और जमीन विधिवत राज्य सरकार को हस्तांतरित हो गई.और तब से यह राज्य सरकार की संपत्ति है.