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इस अस्पताल में करोड़ों की मशीनें हो गई हैं बेकार - Millions of machines have become useless in this hospital

बिलासपुर के जिला अस्पताल में कोरोना काल में लाई गई करोड़ों रुपए की मशीनें धूल खा रही (Negligence in district hospital of Bilaspur) हैं. कोरोना की तीसरी लहर नहीं आने के कारण मशीनों का इस्तेमाल नहीं हो सका. इससे शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगने वाला है.

बिलासपुर के जिला अस्पताल में लापरवाही
बिलासपुर के जिला अस्पताल में लापरवाही

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Published : May 19, 2022, 8:06 PM IST

बिलासपुर :कोरोनावायरस के दौरान जिला अस्पताल में जमकर जीवन रक्षक उपकरणों की खरीदी की गई थी. कोरोना की लहर समाप्त हो चुकी है. ऐसे में करोड़ों रुपए के ये उपकरण अब बेकार हो गए हैं. इन मशीनों को अलग-अलग कक्ष में धूल खाने के लिए रख दिया गया है. अब आधा दर्जन वेंटिलेटर का खराब होना बताया जा रहा है, वहीं स्वास्थ्य विभाग इन सब बातों से बेखबर है. शासन से मिले पैसों की बर्बादी होती दिखाई दे रही (Millions of machines have become useless in this hospital) हैं.

कैसे हुई मशीनें खराब : कोरोना महामारी के दौरान सिम्स और जिला अस्पताल में जमकर मशीनों की खरीदी की गई थी. खासकर गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर और आईसीयू उपकरणों को लाया गया था. इसके अलावा सीजीएमएसी और केंद्र सरकार द्वारा भी मशीनों की सप्लाई की गई थी. सिम्स और जिला अस्पताल में कोविड-19 के लिए 10-10 बिस्तर रिजर्व रखे गए हैं. हालांकि दोनों अस्पताल में एक भी मरीज अभी भर्ती नहीं है. ऐसे में करोड़ों रुपए की मशीनों का वर्तमान में कोई इस्तेमाल नहीं है.

मशीनों की अनदेखी : इन मशीनों को अलग-अलग कक्षों में धूल खाने के लिए रख दिया गया (Negligence in district hospital of Bilaspur) है. रखरखाव के अभाव में कई मशीनें खराब होने की कगार पर हैं. मशीनों का जल्द ही इस्तेमाल नहीं किया गया तो करोड़ों रुपए बर्बाद हो जाएंगे. बताया जा रहा है कि सिम्स और जिला अस्पताल में आधा दर्जन से ज्यादा वेंटीलेटर खराब हो चुके हैं. ऐसे में करोड़ों रुपए खर्च कर की गई खरीदी पर अब सवालिया निशान लग रहे हैं.

दवाईयों की क्या है स्थिति :जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल और सिम्स मेडिकल कॉलेज में मरीजों के लिए आई करोड़ों रुपए की दवाएं एक्सपायरी हो चुकी हैं. सीजीएमएसी ने इन दवाओं की सप्लाई जिला अस्पताल और सिम्स मेडिकल कॉलेज (sims medical college bilaspur)में की थी. इसमें कई दवाएं नियर एक्सपायरी थीं. इन दवाओं का समय पर खपत नहीं होने के कारण ये एक्सपायरी हो गई हैं. दवाओं के एक्सपायरी होने की वजह से शासन के करोड़ों रुपए बर्बाद हो चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग अब इन दवाइयों को सहेजने में लगा हुआ है.

मामला सामने आने के बाद अब क्या :सिम्स मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर नीरज शिंदे ने कहा है कि '' मशीनों को अब इंस्टॉल किया जा रहा है, ताकि इनकी उपयोगिता बरकरार रहे. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सामान्य मरीजों के लिए वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के अलावा दूसरे उपकरणों को इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि मशीनें खराब ना हो और मरीजों को इसका लाभ मिलता रहे''

क्यों लाई गईं थी इतनी मशीनें :कोरोनाकाल की दूसरी लहर में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वेंटीलेटर और अन्य मशीनों की अति आवश्यकता थी. इस वजह से केंद्र और राज्य शासन ने पर्याप्त मात्रा में मशीनों की खरीदी की थी, लेकिन जिस समय इन मशीनों की जरूरत थी, उस समय उनकी खरीदी नहीं हो पाई थी, या फिर यूं कहें तो मंजूरी ही नहीं मिल पाई थी. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर जाने के बाद इन मशीनों को पर्याप्त मात्रा में खरीद लिया गया था. माना जा रहा था कि कोरोना की तीसरी लहर में इन मशीनों का सही इस्तेमाल हो सकेगा. लेकिन कोरोना की तीसरी लहर काफी कमजोर रही. इस वजह से भी यह मशीनें उपयोग में नहीं आ पाई.

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