बिलासपुर: सोमवार को अपनी धरती पर 12 सौ ऐसे बच्चों ने कदम रखा, जो कमाने बाहर गए थे. जिस बेबसी से उन्होंने अपना घर छोड़ा था, इसी बेबसी से ये मेहनतकश अपने आंगन लौटे हैं. हाथ में सिर्फ झोला है. कंधे पर उसकी झोले में दु:ख, दर्द, नाउम्मीदी लिए वो लौट आए. इन्हें पता भी है कि यहां भी जिंदगी मुश्किल से बीतेगी लेकिन हां घर में बीतेगी. अपनी जमीन पर बीतेगी.
छत्तीसगढ़ के प्रवासी श्रमिकों, विद्यार्थियों, संकट में पड़े और मेडिकल आवश्यकता वाले लोगों को लेकर सोमवार को गुजरात से पहली ट्रेन बिलासपुर पहुंची. जिला प्रशासन ने इसके लिए सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित की थी. गुजरात से करीब 1200 श्रमिकों एवं अन्य लोगों को लेकर यह ट्रेन पहुंची. यह ट्रेन अहमदाबाद, गोधरा, रतलाम, बीना, कटनी, पेन्ड्रारोड से होते हुए बिलासपुर पहुंची. इसमें मुंगेली जिले के 20, जांजगीर-चाम्पा जिले के 53 और दुर्ग जिले के 11 लोग भी शामिल थे.
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श्रमिकों का हुआ स्वास्थ्य परीक्षण
जिला प्रशासन बिलासपुर द्वारा ट्रेन से आने वाले याात्रियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए 80 मेडिकल स्टाफ की ड्यूटी यहां लगाई गई थी. जिसमें 28 डॉक्टर, 14 लैब टेक्नीशियन और 22 पैरा मेडिकल स्टाफ के सदस्य थे. इसके अलावा अन्य समन्वय, सैनिटाइजर और मास्क वितरण के लिए 16 लोग तैनात किए गए थे.
सुरक्षा के लिए तैनात थे जवान
यात्रियों की सुरक्षा के लिए 82 पुलिस और 50 आरपीएफ के जवान तैनात किए गए थे. यात्रियों की स्कार्टिग के लिए राजस्व और पंचायत विभाग के 56 अधिकारी-कर्मचारी तथा 70 बसों के लिए चालक और इतने ही वाहन प्रभारी उपस्थित रहे. स्टेशन और आस-पास के क्षेत्र को सैनिटाइज करने के लिए निगम के 20 कर्मचाारियों का अमला और इस पूरी व्यवस्था के समन्वय और मानिटरिंग के लिए एस.डी.एम., डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार सहित 30 प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे.