छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / city

नहीं रहे काव्य भारती के संस्थापक मनीष दत्त, 79 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

बिलासपुर के धरोहर कहे जाने वाले काव्य भारती के संस्थापक मनीष दत्त अब इस दुनिया में नहीं रहे. उन्होंने अपने 79 साल के कार्यकाल में कई कविताएं, कहनियों और साहित्य को जन्म दिया.

Kavya Bharati founder Manish Dutt dies in bilaspur
नहीं रहे काव्यभारती के संस्थापक मनीष दत्त

By

Published : Feb 23, 2020, 4:38 PM IST

Updated : Feb 23, 2020, 11:57 PM IST

बिलासपुर: काव्य संगीत को अमर करने वाले और 7 दशक से अधिक समय से लगातार काव्य संगीत के साधक मनीष दत्त का निधन हो गया है. बिलासपुर के धरोहर कहे जाने वाले काव्य भारती के संस्थापक मनीष दत्त अब इस दुनिया में नहीं रहे. दादा मनीष दत्त काव्य भारती के संस्थापक थे और अपनी पूरी जिंदगी को काव्य, संगीत के लिए समर्पित कर दिया.

नहीं रहे काव्य भारती के संस्थापक मनीष दत्त

दत्त साहब उन बिरले लोगों में एक से थे, जिनका सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, फणिश्वरनाथ रेणु, महादेवी वर्मा जैसे महान साहित्यकारों से आत्मीय जुड़ाव रहा. उन्होंने महादेवी वर्मा के कहने पर ही 1978 में काव्य भारती की स्थापना की. इससे पहले सन् 1960 में नाट्य भारती संस्था की स्थापना कर नाटकों के साथ कई गीतों-कविताओं पर कार्यक्रम की शुरुआत की.

काव्य भारती के संस्थापक मनीष दत्त

एक नजर उनके जीवन पर

मनीष दत्त गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की तरह विभिन्न रचनाओं को जन-जन तक संगीत के रूप में पहुंचना चाहते थे और उनकी इसी भूख ने 2000 ऐसे रचनाओं को जन्म दिया, जो महान साहित्यकारों की रचना है. उन्होंने अल्पायु में ही यह संकल्प लिया कि वे हिंदी के साहित्यिक गीतों को सरल बनाकर उसे जन-जन तक पहुंचाएंगे. उनका मानना था कि बांग्ला भाषी लोग रविंद्र नाथ टैगोर, काजी नजरूल इस्लाम, डीएल राय जैसे कवियों के रचनाओं को जब बड़े ही चाव से गाते और पढ़ते हैं, तो हिंदी की प्रमुख रचनाएं सिर्फ पुस्तकों तक सीमित क्यों रहे.

काव्यभारती

1978 में काव्य भारती की स्थापना की

दत्त साहब की इसी सोच ने उन्हें रेणु-निराला जैसे महान साहित्यकारों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. इस तरह उन्होंने पहले साल 1960 में नाट्य भारती की स्थापना की और नाटकों, गीतों-कविताओं पर कार्यक्रम की शुरुआत की. बाद में मनीष दत्त साहब कवयित्री महादेवी वर्मा के सुझाव पर साल 1978 में काव्य भारती की स्थापना की.

हिंदी-बंगला और अंग्रेजी के विद्वान थे
मनीष दत्त साहब एक साथ कई विद्याओं में सम्पन्न थे. वे एक सच्चे सुरसाधक थे. लोगों से जुड़ाव के प्रति वे गहरे तौर पर संवेदनशील थे. वे नाट्य रचना में महारथी थे. हिंदी-बंग्ला और अंग्रेजी के विद्वान थे. जो सबसे बड़ी बात उनमें वो थी की उनकी सादगीपूर्ण जिंदगी. उनके शिष्य जो उनसे जुड़े थे वो कभी दूर नहीं हुए. उनके शिष्य देश-विदेश में उनकी कला को आज भी प्रस्तुत कर रहे हैं.

मनीष दत्त और साहित्यकारों की तस्वीरें

सरकारी सहायता को कभी नहीं स्वीकारा

लोगों ने बताया कि दत्त साहब स्वाभिमानी थे, जो सरकारी सहायता को सदैव ठुकराते थे. उन्होंने नेहरू जन्म शताब्दी पर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश का पहला एलपी रिकॉर्ड अमर बेला तैयार किया था. उनकी रचनाएं आकाशवाणी केंद्रों से कई बार प्रसारित हो चुकी हैं. अब जरूरत है तो इस महान व्यक्तित्व की सोच को जमीन पर लाने की, जिसे समाज को प्रेरणा मिले और साहित्य रसिकों को नई ऊर्जा प्राप्त हो.

Last Updated : Feb 23, 2020, 11:57 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details