बिलासपुर :दीपावली के आते ही पटाखों की मांग बढ़ जाती है. लिहाजा शहर के अलग-अलग थाना क्षेत्रों में पटाखा का भंडारण भी जोरों पर है. लेकिन शहर के कई रिहायशी इलाकों में पटाखों का अवैध भंडारण भी किया जा रहा है. जो खतरे की घंटी बजा रहा है. सूचना मिलने के बाद पुलिस कार्रवाई तो करती है. लेकिन कार्रवाई से पहले खुद पुलिस सवालों के घेरे में (Illegal business of firecrackers) है.
प्रशासन की आंखों में कैसे झोंकते हैं धूल : दीपावली पर पटाखा फोड़ने की आधुनिक परंपरा है. इसी परंपरा के तहत जिला प्रशासन फटाका दुकानों के लिए अस्थाई और स्थाई लाइसेंस जारी करती है. जिला प्रशासन अस्थाई लाइसेंस के तहत व्यापारियों के लिए स्थान सुनिश्चित कर वहां दुकान लगाने की व्यवस्था करती है. इसके अलावा स्थाई लाइसेंस धारियों को अपने गोदाम शहर के बाहर रखने की शर्त पर लाइसेंस जारी करती है. लेकिन कुछ पटाखा व्यापारी शहर के बाहर गोदाम दिखाकर लाइसेंस तो प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन शहर के भीतर ही रिहायशी इलाकों में गोदाम और दुकान संचालित करने (residential area of Bilaspur ) हैं.
व्यापारी कैसे बेचते हैं पटाखें : बिलासपुर शहर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के साथ ही तोरवा, तारबहार, सरकंडा और सिरगिट्टी थाना के तहत कई ऐसे गोदाम हैं जिन्हें रिहायशी इलाकों में रखा गया है. व्यापारी चोरी-छिपे रिहायशी इलाकों के घरों को अपना गोदाम बना लेते हैं.फिर यहीं से पटाखों की सप्लाई करते हैं. इसके अलावा कुछ व्यापारी तो शहर के अंदर गोदाम और दुकान संचालित करते हुए वहीं से बिक्री भी करते हैं.