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दीवार तो है लेकिन छत नहीं, कैसे होगा आशियाने का सपना पूरा

बिलासपुर जिला में प्रधानमंत्री आवास योजना का हाल बेहाल है. जिले में 14 हजार मकान आवास योजना के तहत अधूर पड़े हुए हैं. हितग्राही अपने मकान के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं.

Awas Yojana in Bilaspur
आशियाने का इंतजार

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Published : Sep 22, 2020, 2:32 PM IST

Updated : Sep 22, 2020, 2:38 PM IST

बिलासपुर:एक मकान सभी का सपना होता है. केंद्र सरकार ने हर परिवार को छत देने का सपना लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी.योजना ने तो खूब वाहवाही लूटी लेकिन धरातल में इसका हाल कुछ और ही कहानी बयां करता है. बिलासपुर जिले में ऐसे कई परिवार है जिन्हें अपने आशियाने के पूरा होने का इंतजार हैं. ETV भारत जब शहर में पहुंची तो देखा कि आवास योजना के तहत बनाए जाने वाले कई मकान अधूरे पड़े हैं. किसी की छत है तो दरवाजा नहीं किसी की दीवार है तो छत नहीं.

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बिलासपुर शहर में कई ऐसे इलाके हैं जहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जाने वाला निर्माणाधीन मकान फंड की कमी से रुके पड़े है. इस योजना के तहत अकेले बिलासपुर शहर में 70 हजार 900 मकानों को स्वीकृति मिली थी. जिला पंचायत के सहायक परियोजना अधिकारी आनंद पांडेय का कहना है कि अब तक 54 हजार मकान बनकर तैयार हैं, 14 हजार मकानों का काम बाकी हैं, जिसमें से 2019-20 की बात करें तो 9 हजार मकान बनाना बाकी है और 12 हजार के लगभग मकानों का निर्माण कार्य जारी है. विभाग ने विभिन्न कारणों से तकरीबन एक हजार मकानों की स्वीकृति निरस्त कर दी है. विभाग का कहना है कि 12 हजार मकानों का काम 3 महीने के अंदर पूरा कर लिया जाएगा.

सांसद ने ठहराया राज्य सरकार को जिम्मेदार

मकान का इंतजार

इस आवास योजना में केंद्र सरकार की 60 और राज्य शासन की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी होती है. बिलासपुर सांसद के मुताबिक केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की रकम राज्य शासन को दे दी हैं, लेकिन राज्य सरकार के हिस्से के तकरीबन एक करोड़ रुपये पीएम आवास के लिए जमा नहीं किए गए है, जिसका साइड इफेक्ट हितग्राहियों के ऊपर देखने को मिल रहा है. बिलासपुर संसदीय क्षेत्र में ही तकरीबन 14 हजार मकान अभी भी अधूरे हैं. बीते 2 वर्षों से हितग्राही सरकारी फंड का इंतजार कर रहे हैं. कुछ हितग्राहियों ने तो ये तक शिकायत की है कि उनकी राशि पहले ही डकार ली गई है. सांसद ने इस लेटलतीफी और क्रियान्वयन में देरी के लिए राज्य सरकार को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है. सांसद ने कहा कि उन्होंने इस संदर्भ में पंचायत मंत्री को भी पत्र लिखा है लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.

आवास

कांग्रेसी नेता मनरेगा का कर रहे बखान

मामले में कांग्रेस के प्रदेश सचिवअर्जुन तिवारी का कहना है कि राज्य की सरकार ने गरीबों का पूरा ख्याल रखा है. लॉकडाउन के समय अलग-अलग राज्यों से आए प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया है. कोरोना संकट के बीच प्रदेश में मनरेगा के तहत कामकाज का बेहतर माहौल बनाया है जो पूरे देश में एक कीर्तिमान है. अर्जुन तिवारी का कहना हैं कि सरकार सिर्फ मनरेगा को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही हैं और बाकी योजनाओं को लेकर चुप्पी साध ली हैं.

जिम्मेदार चाहे कुछ भी कहें और अधिकारी कितने भी दावें करें, लेकिन बगैर छत के कड़ी धूप में तपने वाले ये हितग्राही जुगाड़ से जिंदगी चलाने को मजबूर हैं. अब देखना ये होगा कि उनके आशियाने का इंतजार कब खत्म होता है?

Last Updated : Sep 22, 2020, 2:38 PM IST

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