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Hearing in Chhattisgarh High Court: रिटायर्ड हेडमास्टर से वसूली आदेश निरस्त - Hearing in Chhattisgarh High Court

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने याचिकाकर्ता रिटायर्ड हेडमास्टर की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनसे वसूली के आदेश को निरस्त कर दिया है. 2 महीने के अंदर शिक्षा विभाग को उनके पेंशन सहित अन्य देयकों का भुगतान करने को कहा है.

Hearing in Chhattisgarh High Court on recovery order from Headmaster
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

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Published : Sep 7, 2021, 12:01 PM IST

बिलासपुर: सेवानिवृत्त प्रधानपाठक के खिलाफ शिक्षा विभाग ने दो लाख 90 हजार रुपये का वसूली आदेश जारी कर दिया. इसके साथ ही उनके पेंशन सहित अन्य देयकों की राशि रोक दी गई. इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने याचिकाकर्ता रिटायर्ड हेडमास्टर के वसूली आदेश को निरस्त कर दिया है. साथ ही उन्हें दो माह के भीतर समस्त देयकों का भुगतान करने को कहा है.

दुर्ग निवासी कृष्णकुमार देवांगन ने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें बताया गया है कि वे शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत थे. लंबी सेवा अवधि के बाद 62 वर्ष की आयु पूरी होने पर उन्हें नवंबर 2020 में प्रधानपाठक के पद से सेवानिवृत्ति दी गई. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण करने के कारण विभाग ने 21 फरवरी 2021 को उनके खिलाफ 2 लाख 92 हजार रुपये वसूली आदेश जारी कर दिया. इसके साथ ही उनके पेंशन सहित अन्य देयकों का भुगतान भी रोक दिया गया. याचिका में बताया गया है कि विभागीय त्रुटि का खामियाजा याचिकाकर्ता को रिटायरमेंट के बाद भुगतना पड़ रहा है. शासन व पेंशन महालेखाकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक किसी भी शासकीय अधिकारी-कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के पहले उनके समस्त देयकों के विवाद का निराकरण कर दिया जाना चाहिए.

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त्रुटिपूर्ण वेतन का निर्धारण का आरोप गलत है. यदि मान लिया जाए वेतन का निर्धारण त्रुटिपूर्ण किया गया है. फिर भी इसके लिए याचिकाकर्ता जिम्मेदार नहीं है. याचिकाकर्ता के खिलाफ रिकवरी आदेश जारी करने के पहले उन्हें सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए था. लेकिन विभाग ने एकपक्षीय आदेश जारी कर न्याय के सिद्धांतों के विपरीत काम किया है. इस स्थिति में याचिकाकर्ता का पेंशन व अन्य देयक का भुगतान रोकना सही नहीं है. इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ रिकवरी आदेश को निरस्त कर दिया है. इसके साथ ही शासन को दो माह के भीतर उनके समस्त देयकों का भुगतान करने का आदेश दिया है.

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