बिलासपुर : आजादी के 75 साल बाद भी कई स्कूल आज भी जीर्णोद्धार को मोहताज है. बिलासपुर में ऐसा ही एक वर्षों पुराना स्कूल खपरैल की छत और जर्जर दीवारों के बीच संचालित हो रहा (Children life in danger at school in Sirgitti Bilaspur) है. जिससे बारिश के दिनों में स्थिति बदतर हो जाती है. कमजोर दीवारों पर लंबी दरारें पड़ चुकी है.जिससे छत कभी भी गिर सकता है. बावजूद इसके बच्चों के इस जगह पर पढ़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प आज तक नहीं मिला (Corporation school in Sirgitti was in bad shape) है.
टूटी छत और दीवार, नौनिहाल खतरे में पढ़ाई को लाचार कहां है स्कूल :नगर निगम क्षेत्र सिरगिट्टी वार्ड क्रमांक 12 बन्ना चौक में स्थित जनपद प्राथमिक स्कूल का संचालन 1956 से हो रहा (dilapidated school in Sirgitti bilaspur) है. इस स्कूल में कक्षा पहली से पांचवी तक के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं.आजादी के बाद से संचालित स्कूल आज भी उसी स्थिति में है. जैसे 1956 में था. उस दिन से आज तक सिर्फ बरामदे में टिन की छत लगाई गई है. वह भी सहयोग और स्वयं के खर्च से.
खपरैल की छत के नीचे कक्षाएं :बाकी आज भी लगने वाली कक्षाएं खपरैल छत के नीचे लग रही हैं.बच्चे जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करने मजबूर हैं. खपरैल से छावनी हुए स्कूल में बारिश के दिनों में पानी,हवा तूफान अपना असर दिखाता है.खपरैल के टुकड़े क्लास के अंदर गिरते रहते हैं. जिससे कई छात्र भी जख्मी हो जाते है. क्षेत्र सहित आसपास के सभी स्कूलों में पक्के भवन हैं. लेकिन आजादी के बाद का ये स्कूल आज विकास की राह तक रहा है.
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बच्चों की जान को खतरा :इस स्कूल में रोज छोटे-छोटे बच्चों की जान खतरे में रहती है. जिम्मेदार गहरी नींद में सोए हुए हैं.शिक्षा के इस मंदिर में बच्चे खतरों के बीच डर के साये में पढ़ाई कर रहे हैं. स्कूल की दीवारों में दरार बढ़ती जा रही है जो कभी भी गिर सकता है. नगर निगम के इस प्राथमिक स्कूल (Danger in the primary school of Bilaspur Municipal Corporation) में कक्षा पहली से लेकर कक्षा पांचवी तक तकरीबन 150 से ज्यादा बच्चे सिर्फ 3 कमरे में ही पढ़ाई करते हैं. ये कमरे भी जर्जर हालत में है.उन्हीं में क्लास लगती है. क्लास रूम की यहां व्यापक कमी है. जिसके कारण शिक्षकों को एक ही कमरे में दो क्लास एक साथ लेनी पड़ती है. स्कूल की दीवारों में सिपेज हैं. जो खतरे की घंटी से कम नहीं.