गौरेला पेंड्रा मरवाही : छत्तीसगढ़ सरकार स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों के लिए पूर्व माध्यमिक से हायर सेकेंडरी स्कूल (6वीं से 12वीं) तक के लिए जारी टाइम टेबल में इस वर्ष सोमवार से शुक्रवार तक खेलों के लिए कोई स्थान नहीं दिया (government schools of Chhattisgarh ) है. जिससे स्कूलों में अब प्रतिदिन खेल होना बंद हो गया. खेलगढ़िया कार्यक्रम के तहत स्कूलों में सप्लाई हुए करोड़ों रुपए की खेल सामग्री महज शोपीस बनकर रह (Dust eating sports materials ) गई. अधिकारी इसे कोरोना काल में छात्रों को नुकसान हुए पढ़ाई की क्षतिपूर्ति के रूप में निर्धारित करना कह रहे हैं. तो वहीं छात्र खेलने के लिए समय न मिलने से दुःखी है.
छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में खेल सामग्रियां खा रहीं धूल खेलों का जीवन में महत्व : जीवन में खेलों का क्या महत्व है. यह किसी से छुपा नहीं है. खेल ना सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. बल्कि बचपन से अलग-अलग लोगों के आपस में घुलने मिलने एवं सामंजस्य बिठाने के साथ-साथ लीडरशिप जगाने में भी खेलों का बड़ा महत्व होता है. ''स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है'' महान दार्शनिक अरस्तु का यह कथन हर युग में फिट बैठता है. लेकिन छत्तीसगढ़ में खेलों को लेकर ऐसा नहीं (Gourela pendra marwahi news) है.
किस काम की खेल सामग्री : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए लगातार जाने जाते हैं. भंवरा, गिल्ली डंडा खेलते हुए उनकी कई फोटो भी आती रहती है. पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलगढ़िया कार्यक्रम भी शुरू किया गया. जिसके लिए छत्तीसगढ़ के प्रत्येक प्राइमरी स्कूल को 5000, मिडिल स्कूल को 10000 एवं हायर सेकेंडरी स्कूल को 25000 रुपए दिए गए. स्कूलों में खेलों की सामग्री भी पहुंची.लेकिन टाइम टेबल में खेलों के लिए समय निर्धारित ना होने की वजह से यह खेल सामग्री छात्रों के काम ना आ सकी.छात्रों का कहना है कि जब वे पिछली कक्षाओं में थे तो प्रतिदिन छुट्टी होने के पहले खेलने को मिलता था. अब स्कूल खुले महीनों हो गए हैं .लेकिन खेलने को नहीं मिलता.बैडमिंटन, वॉलीबॉल, फुटबॉल, क्रिकेट जैसे खेलों की सामग्रियां स्कूलों में तो है लेकिन उनका कोई मतलब नहीं.
सरकारी आदेश बन रहा रोड़ा :छत्तीसगढ़ सरकारी स्कूल शिक्षा विभाग ने कक्षा 6वीं से 12वीं तक के लिए जारी समय सारणी में सुबह 9:45 से स्कूल लगने का समय निर्धारित किया है. शाम 4:00 बजे छुट्टी के लिए समय निर्धारित किया है. इस बीच में पाठ्यक्रम में आने वाले सभी विषयों के लिए समय और कालखंड निर्धारित है. लेकिन खेलकूद के लिए पहले से चला आ रहा 40 मिनट का समय गायब कर दिया गया है. शिक्षक भी समय सारणी में खेलकूद के लिए समय ना होने की वजह से बच्चों को खेल नहीं खिला रहे हैं.
जिम्मेदार कोरोना को मान रहे कारण :वहीं जिला शिक्षा अधिकारी इस व्यवस्था के लिए कोरोना काल को जिम्मेदार बताते हुए कहते हैं कि ''कोरोना काल में पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ है. जिसकी भरपाई के लिए खेलकूद का समय समय सारणी से विलोपित कर दिया गया है. हालांकि शनिवार को बैगलेस डे घोषित होने के बाद से उस दिन भी खेल कराया जा सकता है.'' लेकिन सरकार यह भूल गई कि जिस तरह प्रतिदिन भोजन करना, पढ़ना आवश्यक है उसी तरह खेलकूद भी स्वस्थ शरीर एवं जीवन का एक हिस्सा है.ऐसे में छत्तीसगढ़ के स्कूलों में खेल ना होना बच्चों के लिए चिंता का विषय है.