बिलासपुर:छत्तीसगढ़हाईकोर्ट में सरगुजा विश्वविद्यालय में नए सिरे से कुलपति की नियुक्ति के मामले में सुनवाई हुई. कोर्ट ने शासन और डॉ. अशोक सिंह की अपील पर सुनवाई करते हुए इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए हैं. पूर्व कुलपति के पक्ष में स्थगन मिलने के बाद कार्यालय आ रहे हैं. स्थिति को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने राजभवन से मार्गदर्शन मांगा है. कुलपति डॉ प्रसाद 10 जुलाई को रिटायर भी हो रहे हैं. (surguja university vice chancellor case)
सरगुजा यूनिवर्सिटी कुलपति मामले में सुनवाई:राज्य में सरकार बदलने के बाद राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों को बदलने की कवायद वर्ष 2019 में की गई. पहले दुर्ग विवि और कुशाभाऊ ठाकरे विवि के कुलपतियों ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया, लेकिन सरगुजा विवि के कुलपति डा. रोहणी प्रसाद ने इस्तीफा देने से इनकार किया था. धारा 52 लगाकर आयुक्त सरगुजा को प्रभार दिया. बाद में अशोक सिंह को कुलपति बनाया गया था. इससे पहले कुलपति डॉ प्रसाद के खिलाफ कथित फर्जी शिकायतें हुईं. शिकायत पर एक जांच कमेटी बनाई गई. इसकी रिपोर्ट नहीं आई. तभी 24 दिसंबर को एक अन्य कमेटी सरगुजा आयुक्त ने बनाकर इसकी रिपोर्ट तैयार की. यह रिपोर्ट शासन को भेजी गई. जिसमें कहा गया कि कुलपति के कुछ कार्यकलापों से सरकार की छवि खराब हो रही है. 3 जनवरी 2020 को धारा 52 लगा दी गई और 6 जनवरी को डॉ. प्रसाद हटा दिए गए. आयुक्त को प्रभारी कुलपति बनाया गया. बाद में अशोक सिंह को नियमित कुलपति नियुक्त किया गया. व्यथित होकर डा प्रसाद ने हाईकोर्ट की शरण ली.