बिलासपुर :किसी भी राज्य में जब कोई शहर बढ़ता है तो वहां आने-जाने वालों की संख्या भी बढ़ती है. खासकर काम की तलाश में दूसरे राज्यों के लोग उस शहर की तरफ आते हैं. पहले के समय में पुलिस दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों और व्यवसाय करने वाली की डिटेल थाने में मुसाफिरी के तौर पर दर्ज करती थी. मुसाफिरी दर्ज करने से उस शहर में अपराध कंट्रोल में रहता था. लेकिन अब मुसाफिरी दर्ज करने को लेकर पुलिस का रवैया उदासीन है. बात यदि बिलासपुर के पुलिस थानों में मुसाफिरी दर्ज करना सिर्फ खानापूर्ति बनकर रह गया (bilaspur Police not interested in registering passengers) है. जिसके कारण अब शहर में दूसरे राज्यों से आकर अपराध करने वाले अपराधियों की संख्या बढ़ गई है.
क्या है मुसाफिरी दर्ज और इसके फायदे :बिलासपुर में इन दिनों चोरी और उठाईगिरी की घटनाएं बढ़ रही है. लेकिन आज से कुछ साल पहले ऐसा नहीं था. पुलिस ने नियम बनाया था कि दीगर प्रांत से आकर शहर के आसपास रहने और व्यवसाय करने वालों की जानकारी संबंधित थाने में दर्ज होनी चाहिए. जिसे मुसाफिरी दर्ज करना कहा जाता है. इस नियम का सबसे बड़ा फायदा ये था कि यदि कोई चोरी,लूट या डकैती करके राज्य से बाहर भागता था तो उसकी जानकारी पहले से ही पुलिस के पास होती थी. जिससे उसे पकड़ने और माल बरामद करने में आसानी होती थी. लेकिन अब थानों में मुसाफिरी दर्ज करने में पुलिस दिलचस्पी नहीं (Police not interested in registering passengers) लेती. जिसके कारण सीसीटीवी फुटेज होने के बाद भी आरोपी नहीं पकड़े जाते.
किरायदारों की भी जानकारी पुलिस के पास :दीगर राज्यों और दीगर जिलों से आकर शहर में रहकर व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए पुलिस में नियम था. सभी को अपनी सरकारी पहचान और शासकीय पते के साथ फोटो संबंधित थाना क्षेत्र में जमा कराना होता था. मामले में मकान मालिक भी अपने किरायेदारों की जानकारी थानों में जमा कराते (Information about tenants also with the police) थे. इस नियम से जब कभी पुलिस को इन लोगों की आवश्यकता होती थी तो वे उन्हें बुलाकर पूछताछ किया करते थे. यदि ऐसे लोग वापस अपने मूल निवास पहुंच भी गए हो तो पुलिस उनसे संपर्क कर उन्हें बुला लिया करती थी.
मुसाफिरों के रिकॉर्ड से होती थी आसानी :मुसाफिरी दर्ज करने का सबसे बड़ा फायदा ये होता था कि संबंधित थाने के पास मुसाफिर की पूरी कुंडली पहले से ही होती थी.यदि मुसाफिर ने अपने राज्य में कभी अपराध किया है तो पुलिस को पता होता था कि सामने वाले व्यक्ति का नेचर कैसा है. जिससे यदि कभी क्षेत्र में अपराध होता तो पुलिस संबंधित अपराध और शहर में रहने वाले मुसाफिर से पूछताछ करती थी.
किराये में मकान लेकर करते हैं अपराध :मकान किराए पर देने वालों को अपने किरायेदारों की मुसाफिरी दर्ज करवाने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए मुसाफिर दर्ज करवाना मकान मालिकों को इसलिए भी जरूरी है कि यदि उनके किराएदार ने अपराध किया है (tenant has committed a crime) तो पुलिस सीधे आरोपी तक पहुंचेगी. ऐसे मामलों में मकान मालिक को कोई परेशानी नहीं होगी. क्योंकि कई बार ऐसा देखा गया है कि अपराधी किराए के मकान में रहते हैं और फिर वारदात के बाद भाग जाते हैं. जिसके बाद पुलिस का सामना मकान मालिक को करना पड़ता है.