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जब पति पत्नी है राजी तो क्या करेगा काजी !

बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए पति पत्नी को राहत दी है. इस केस में पत्नी ने पति समेत ससुराल पर जान से मारने की एफआईआर कराई (Bilaspur High Court quashes FIR of killing) थी. लेकिन बाद में दोनों पक्षों में समझौता हो गया.

Bilaspur High Court quashes FIR of killing
जब पति पत्नी है राजी तो क्या करेगा काजी

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Published : Jul 16, 2022, 4:08 PM IST

बिलासपुर : पति-पत्नी के आपसे समझौते के बाद हाईकोर्ट ने एफआईआर निरस्त करने की मांग (Bilaspur High Court quashes FIR of killing) को स्वीकार करते हुए इसे निरस्त करने के आदेश दिए है. इस मामले में पति और ननद पर हत्या के प्रयास सहित कई धाराएं लगी थी. कोर्ट ने योग्य धाराओं को निरस्त करने के आदेश दिए हैं. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एफआईआर निरस्त करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये अहम फैसला दिया है.

कहां का है मामला :कोंडागांव की रहने वाली आबेदा बानो ने पति, सास, ननद पर आरोप लगाते हुए जान से मारने की कोशिश पर एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में पति, सास, ननद पर ऑलआउट लिक्विड पिलाकर जान से मारने की कोशिश करने को लेकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में पुलिस ने आरोपियों पर धारा 307(34), 498, 327 के तहत रिपोर्ट दर्ज किया था. इस मामले में पति-पत्नी ने कोर्ट के बाहर आपसी समझौता कर लिया है. पत्नी आबेदा बानो की याचिका पर कोर्ट ने आरोपियों पर लगे धाराओं को हटाकर एफआईआर निरस्त करने के निर्देश दिए है.

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कब हुआ था केस दर्ज :कोंडागांव की रहने वाली आबेदा बानो का निकाह साल 2016 में ओडिसा के रहने वाले मोहम्मद अफजल से हुआ था. शादी के दो माह बाद ही झगड़ा शुरू हो गया. एक साल बाद 2017 में आबेदा ने केशकाल थाने (FIR was lodged in Keshkal police station for killing) में पति मोहम्मद अफजल, ननद और सास के ऊपर आरोप लगाया कि ''उन्होंने उसे दहेज की मांग करते हुए प्रताड़ित किया और ऑलऑउट लिक्विड पिलाकर मारने की कोशिश की.'' पुलिस ने पति, ननद और सास के ऊपर धारा 294, 323, 506B, 328, 498A और 307 34 के तहत अपराध दर्ज किया. मामला निचली अदालत में पहुंचा पर दोनों पति-पत्नी ने कोर्ट के बाहर ही आपसी समझौता कर लिया. समझौता के बाद कोर्ट में आवेदन पेश किया. कोर्ट ने आपसी समझौते के अनुसार समझौता योग्य धाराओं का निराकरण कर दिया, पर 307(34), 498 और 328 का निराकरण नहीं किया. इन तीनों धाराओं की निरस्तीकरण के लिए दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.

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