बिलासपुर : बिलासपुर में बच्चों को बेहतर माहौल के बीच शिक्षा देने के तमाम दावों के साथ स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत कर दी गई (new education session in chhattisgarh) है. बिलासपुर संभाग में इसकी असल हकीकत इन दावों से उलट है. संभाग के ढाई हजार से ज्यादा स्कूल जर्जर, अति जर्जर हालत में संचालित हो रहे हैं. यही नहीं 150 के करीब स्कूल भवनविहीन हैं. खास बात ये है कि स्कूलों की इस स्थिति की जानकारी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है. इसके बावजूद इन स्कूलों का संचालन हो रहा है.
बिलासपुर संभाग में ढाई हजार स्कूल जर्जर क्या हैं निर्देश :कोविड के कारण लंबे समय से स्कूलों का संचालन प्रभावित रहा है. ऐसे में कोविड का प्रभाव कम होने के साथ ऑफलाइन मोड में स्कूलों के संचालन के निर्देश दिए गए हैं. 16 जून से स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत कर दी गई (Many schools of Bilaspur division are dilapidated) है. सत्र शुरू होने से पहले शासन ने स्कूलों में तमाम व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे. इसमें प्रमुख रूप से स्कूल भवनों की मरम्मत, रंग रोगन सहित बच्चों की बैठक व्यवस्था और परिसर की साफ-सफाई के साथ पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने कहा गया था.
शिक्षा संभाग के सात जिलों में हैं जर्जर स्कूल भवन : बिलासपुर संभाग में बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर-चांपा, सक्ति, रायगढ़, गौरेला पेंड्रा-मरवाही और कोरबा जिला शामिल है. संभाग के ढाई हजार से भी ज्यादा स्कूलों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किए बिना ही नए शैक्षणिक सत्र के लिए स्कूलों को खोल दिया गया है. संभाग के ढाई हजार से ज्यादा स्कूल जर्जर, अति जर्जर हालत में लग रहे हैं. 150 के करीब स्कूल भवनविहीन (Many schools without buildings in Bilaspur division) हैं. बिलासपुर, कोरबा और रायगढ़ जिले में सबसे ज्यादा स्कूल भवनों की स्थिति खराब है. दूसरे जिलों में भी कमोबेश यही स्थिति है.
स्कूल शिक्षा विभाग को है इसकी जानकारी : खास बात ये है कि, खुद स्कूल शिक्षा विभाग को भी इसकी जानकारी है. जर्जर, अति जर्जर और भवनविहीन स्कूल भवनों का आंकड़ा सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है. शासन के निर्देश पर जिलेवार ऐसे स्कूलों की पहचान कर रिकॉर्ड तैयार किया गया है. शासन के पोर्टल में रिकॉर्ड अपलोड किया गया है. इसके बावजूद खतरनाक, जर्जर और खस्ताहाल भवनों में आधी-अधूरी व्यवस्थाओं के बीच स्कूली बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. कहीं स्कूलों की छत गिरने वाली है, तो कहीं छत से पानी टपक रहा है. कई स्कूलों में स्थिति ये है कि छत से आसमान नजर आ रहा है. दीवारों के प्लास्टर गिर रहे हैं. मानसून के बीच खस्ताहाल स्कूलों में हादसे के खतरे के साथ बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं.
क्या कहते हैं शिक्षा विभाग के अधिकारी : इस मामले में विभाग के संभागीय अधिकारी (ज्वाइंट डायरेक्टर) आर एन हिराधर ने कहा ''इसकी जानकारी शासन को भेजी गई है. जानकारी शासन के पोर्टल में अपलोड कर दी गई है. शासन से फंड जारी होते ही चिन्हित भवनों की मरम्मत और नए भवनों का निर्माण किया जाएगा.''
विपक्ष ने सरकार पर ध्यान नहीं देने की बात कही : इधर संभाग के स्कूलों की इस स्थिति को लेकर विपक्ष भी अब सवाल खड़े कर रहा (Information about dilapidated school buildings to Chhattisgarh government) है. विधानसभा में उपनेता और विधायक कृष्णमूर्ति बांधी इसे शासन- प्रशासन की उपेक्षा से जोड़कर देख रहे हैं. उनका कहना है कि ''शासन-प्रशासन दो अलग- अलग मापदंडों पर काम कर रही है. एक तरफ सर्वसुविधा के साथ नए इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले जा रहे हैं. वहीं पहले से संचालित स्कूल भवनों के मरम्मत और व्यवस्थाओं के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. विपक्ष ने ऐसे स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए तत्काल राशि जारी करने की मांग की है. बिलासपुर संभाग में शिक्षा विभाग की ये स्थिति चिंताजनक है. स्कूलों की स्थिति को जानते हुए भी नौनिहालों को जानबूझकर खतरनाक और जर्जर खस्ताहाल भवनों में पढ़ने को मजबूर किया जा रहा है. जरूरत है शासन को इस पर ध्यान देने की ताकि स्थिति सुधर सके और बेहतर व्यवस्था के साथ स्कूलों का संचालन हो सके.''
फैक्ट फाइल
- जिलेवार जर्जर, अति जर्जर और भवनविहीन स्कूलों की जानकारी
- बिलासपुर- जर्जर -593, अति जर्जर -242, भवनविहीन-22
- कोरबा -जर्जर -645, अति जर्जर -225, भवनविहीन-08
- रायगढ़ -जर्जर -424, अति जर्जर -130, भवनविहीन-23
- मुंगेली -जर्जर -231, अति जर्जर -93, भवनविहीन-41
- जांजगीर -जर्जर -91, अति जर्जर -66, भवनविहीन-41
- जीपीएम -जर्जर -135, अति जर्जर -70, भवनविहीन-05
- सक्ती -जर्जर -117, अति जर्जर -112, भवनविहीन-07
- कुल जर्जर शाला -2236
- कुल अति जर्जर शाला -938
- कुल भवनविहीन -147