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शारदा लाजिस्टिक फर्म को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, आय कर तीन करोड़ की रिकवरी नोटिस पर रोक

शारदा लाजिस्टिस फर्म (Sharda Logistics Firm) को हाईकोर्ट (High Court) से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने कंपनी को आय कर विभाग (Income tax department) द्वारा जारी तीन करोड़ रुपये की रिकवरी नोटिस पर रोक (Withholding of recovery notice) लगा दी है. साथ ही इस मामले में अंतिम फैसला आने से पहले एक पक्षीय कार्रवाई नहीं करने का आदेश भी दिया है.

Sharda Logistics Firm got big relief from High Court
शारदा लाजिस्टिक फर्म को हाई कोर्ट से मिली बड़ी राहत

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Published : Sep 22, 2021, 6:25 PM IST

बिलासपुरः शारदा लाजिस्टिस फर्म (Sharda Logistics Firm) को हाईकोर्ट (High Court) से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने कंपनी (company) को आयकर विभाग (Income tax department) द्वारा जारी तीन करोड़ रुपये की रिकवरी नोटिस पर रोक लगा दी है. साथ ही इस मामले में अंतिम फैसला (final call) आने से पहले एक पक्षीय कार्रवाई नहीं करने का आदेश भी दिया है.

शारदा लाजिस्टिक कंपनी ने अपने अधिवक्ता केशव नंदे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर (petition filed) की है. इसमें बताया गया है कि याचिकाकर्ता कंपनी ने वर्ष 2018-19 में आय कर के लिए रिटर्न जमा किया था. इस के बाद आय कर विभाग (Income tax department) ने उनके दस्तावेजों की जांच की. फिर कंपनी को अलग-अलग नोटिस जारी किया.

विभाग ने जारी किया था 'शोकाज'

याचिका में बताया गया है कि आय कर विभाग के द्वारा असेसमेंट (मूल्यांकन) आर्डर पास करने के पहले ड्राफ्ट अससेमेंट आर्डर (draft assessment order) यानि की शोकाज नोटिस (show cause notice) जारी किया गया. इसके जवाब देने के लिए समय सीमा निर्धारित कर 22 मार्च को नोटिस जारी किया गया. जिसमें यह कहा गया कि 25 मार्च की रात 12 से पहले तक अपना जवाब दे सकते हैं. फर्म द्वारा आय कर विभाग को निर्धारित तिथि तक अपना जवाब दिया जाता, इससे पहले ही विभाग द्वारा एक तरफा कार्रवाई करते हुए मूल्याकंन आदेश (evaluation order) जारी कर दिया गया.

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नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ कार्रवाई का आरोप

इसमें याचिकाकर्ता कंपनी को तीन करोड़ रुपए आय कर जमा करने के संबंध में नोटिस जारी किया गया. याचिका में कहा गया कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत (principles of natural justice) को दरकिनार करते हुए याचिकाकर्ता का पक्ष सुने बिना एक तरफा कार्रवाई नहीं की जा सकती. जबकि, याचिकाकर्ता कंपनी ने समय सीमा समाप्त होने के बाद भी अपना जवाब प्रस्तुत (submit answer) कर दिया था.

याचिका में आय कर विभाग की एकपक्षीय कार्रवाई (Unilateral action) को निरस्त करते हुए उस पर रोक लगाने की मांग की गई है. इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गौतम भादुड़ी ने सभी पक्षों से जवाब मांगा. इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आय कर विभाग (Income tax department) की कार्रवाई को एकपक्षीय माना है. साथ ही कोर्ट ने आय कर विभाग की रिकवरी आदेश पर रोक लगा दी है और प्रकरण में अंतिम फैसला आने तक विभाग को कोई भी कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है.

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