सरगुजा :एक ओर जहां देश में आर्थिक मंदी और बेरोजगारी की चर्चा जोरों पर है. तो वहीं आदिवासी बाहुल्य सरगुजा की महिलाएं कमाल कर रही हैं. यहां की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता का उदाहरण पेश किया है. घरेलू कामकाजी ग्रामीण महिलाएं अपने गृहस्थी की जिम्मेदारी के साथ-साथ स्वरोजगार भी कर रही हैं. महिलाओं ने इस बार मछली का बंपर उत्पादन करके फायदा (Fish farming in Surguja district) कमाया है.
सरगुजा में कामकाजी महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर, आमदनी करके बेरोजगारों को दिखाया आईना - Fish farming in Surguja district
छत्तीसगढ़ में महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रहीं हैं. सरगुजा जिले में नेशनल लाइवलीहुड मिशन (National Livelihood Mission) के तहत कामकाजी महिलाएं आमदनी कर रही हैं.

पहली खेप में हुआ मुनाफा : डैम में 4.5 एकड़ क्षेत्रफल में मछली पालन किया गया था. अब मछलियां बड़ी हो चुकी हैं. जिसकी पहली खेप 60 हजार की बिकी है. 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से यहां महिलाएं मछली बेच रहीं हैं. अभी डैम में कई खेप मछलियों की और निकलेगी जिसके बाद फायदा बढ़ेगा.
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मछली पालन में रिस्क कम :मछली पालन कम रिस्क की खेती है. इसमें बीमारी ना के बराबर लगती है और मुनाफा भी (profit from fish farming in surguja) अधिक होता है. लिहाजा अधिक से अधिक लोगों को इस आजीविका से जुड़ना चाहिये. ग्रामीण महिलाओं की प्रसन्नता भी देखते ही बनती है. क्योंकि मछली पालन के लिए उन्हें कोई अतिरिक्त मेहनत या समय नही गंवाना पड़ा वो अपनी गृहस्थी चलाते हुए ही मछली पालन का काम कर सकती हैं. मनरेगा में काम करने वाली महिलाएं भी इस व्यवसाय से लाभ कमा रही हैं.