बलरामपुर:रामानुजगंज क्षेत्र की जीवनदायिनी कन्हर नदी में जलस्तर बढ़ने से लोगों को राहत मिली है. मानसून की बारिश का इंतजार कर रहे लोगों के चेहरे मानसून से पहले ही नदी में पानी आ जाने से खिल उठे (Water came in the Kanhar river) हैं. अप्रैल महीने में नदी पूरी तरह से सूख चुकी थी. जिससे जलसंकट की स्थिति पैदा हो गई थी. वहीं 26 मई को सुबह जब लोग टहलते हुए नदी के पास पहुंचे तो सूखी नदी में पानी देखकर लोग खुशी से झूम उठे.
..और सूखी नदी में आ गया पानी - Water came in the Kanhar river balrampur
बलरामपुर जिले की जीवनदायिनी नदी कन्हर का जलस्तर बिल्कुल कम हो चुका था. नदी में चारों तरफ रेत ही रेत नजर आ रहा था. लेकिन अब मॉनसून से पहले नदी अपने पुराने स्वरुप में बहने लगी है.
कैसे आया नदी में पानी :कन्हर नदी का उद्गम छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के खुड़िया पठार से हुआ है. यह नदी कुसमी के पहाड़ी इलाकों से बहते हुए छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा का निर्धारण करते हुए कल-कल की मधुर आवाज़ में बहती हुई रामानुजगंज तक पहुंचती है. पिछले दिनों पहाड़ी क्षेत्रों में जमकर मूसलाधार बारिश हुई जिसके फलस्वरूप नदी में पानी आया है.पहाड़ों में अच्छी बारिश हुई है ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले दिनों में नदी का जल स्तर बढ़ने वाला है.
क्या होगा फायदा :बीते एक महीने से नदी सूखने के कारण पेयजल की किल्लत हो रही थी लोगों को जरुरत के मुताबिक पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा था. नगरीय क्षेत्र के साथ ही आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपने दैनिक जीवन में नदी पर निर्भर हैं. लोग पेयजल के अलावा नहाने, कपड़े धोने और मवेशियों को पानी पिलाने के लिए कन्हर नदी में लेकर आते हैं.
कैसी थी नदी की हालत :भीषण गर्मी में नदी का पानी सूखने से नगरीय क्षेत्र में भू-जल स्तर काफी नीचे चला गया है. हैंडपंप, तालाब और कुएं भी पूरी तरह सुख चुके हैं. इसी बीच अचानक नदी में पानी आने से लोगों को उम्मीद है कि भू-जल स्तर नीचे चला गया है यह ऊपर आएगा. जिससे पानी की किल्लत से जूझ रहे नगरवासियों को राहत मिलेगी.
नदी में पानी आने से फायदा :नदी में पानी आ जाने से नदी के किनारे सब्जियों और अन्य फसलों की खेती करने वाले किसानों को भी पानी का लाभ मिलेगा. उन्हें सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा. भीषण गर्मी में नदी का पानी सूखने के कारण किसानों की फसलें चौपट होने के कगार पर पहुंच गई थी. कुएं और बोर में जो थोड़ा-बहुत पानी इकट्ठा था. उसी पानी से सिंचाई हो रही थी.
जनता को कैसे होती थी जलापूर्ति :बता दें कि जिम्मेदारों की लापरवाही से नदी का पानी बह गया था. जिससे नगर पंचायत क्षेत्र में जलसंकट की स्थिति पैदा हो गई थी. जिला प्रशासन के निर्देश पर वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के लिए इंटकवेल के सामने डबरी का निर्माण कराया गया. जिससे कुछ दिनों तक नगर वासियों को पेयजलापूर्ति कराई गई.