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सरगुजा में रोहिंग्या शरणार्थियों के बसने पर सिंहदेव ने की जांच की मांग

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने सरगुजा में रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya refugees in Surguja) के बसने के मामले को गंभीरता से लिया है. सिहंदेव ने पत्र लिखकर कलेक्टर (Surguja Collector) से जांच की मांग की है.

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टीएस सिंहदेव

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Published : Jul 11, 2021, 7:16 PM IST

सरगुजा : अंबिकापुर नगर निगम (Ambikapur Municipal Corporation) की सामान्य सभा की बैठक में भाजपा ने रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya refugees in Surguja) के बसने का मामला उठाया था. इसे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singh deo) ने गंभीरता से लिया है. सिंहदेव ने मुखर होते हुए सरगुजा कलेक्टर (Surguja Collector) को पत्र लिखकर जांच की मांग की है.

सिंहदेव ने कलेक्टर को लिखा पत्र

सिंहदेव ने पत्र में लिखा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों के सरगुजा में होने की जानकारी मीडिया के जरिए मिली है. उन्होंने कलेक्टर को मीडिया से संपर्क कर जांच करने की मांग की है. सिंहदेव ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों के विषय में अगर किसी को जानकारी थी और उसने प्रशासन को इसकी सूचना नहीं दी तो ये गंभीर बात है. ऐसे लोग देश की नीतियों के विरुद्ध लोगों को बसने में बढ़ावा दे रहे हैं. ऐसी गतिविधियां देश विरोधी काम है.

नगर निगम की सामान्य सभा की बैठक में गरमाया रोहिंग्या का मुद्दा, फर्जी जातिप्रमाण पत्र बनाने का आरोप

सिंहदेव ने पत्र में लिखा है कि मिडिया के माध्यम से प्रसारित खबरों से यह जानकारी मिली है कि महामाया पहाड़ी और उसके आसपास रोहिंग्या शरणार्थी हैं. विश्वस्त सूत्रों से जानकारी है कि केन्द्र सरकार ने रोहिंग्या शरणार्थियों के भारत प्रवेश पर रोक लगाया गया था. ऐसी स्थिति में सरगुजा में उनका होना काफी गंभीर होगा. यह बात मीडिया के माध्यम से सामने आ रही है तो तत्काल प्रशासन को उचित कार्रवाई करना चाहिए. सरगुजा में रोहिंग्या शरणार्थियों का आना और बसना प्रशासन के भी संज्ञान में नहीं है, यह एक गंभीर विषय है.

मीडिया के माध्यम से जिन्होंने यह जानकारी दी है, उनसे तत्काल संपर्क कर जानकारी लेनी चाहिए कि यदि कोई रोहिंग्या शरणार्थी सरगुजा में बसे हैं तो उसकी जांच कर तत्काल उचित कार्रवाई हो.

सामान्य सभा की बैठक में हुआ हंगामा

अम्बिकापुर नगर निगम की सामान्य सभा की बैठक में रोहिंग्या लोगों के जाति प्रमाण पत्र बनाए जाने के मामले ने हंगामा खड़ा कर दिया था. विपक्ष ने आरोप लगाया था कि शहर में करीब 15 ऐसे लोगों के जाति प्रमाण पत्र बनाए गए हैं, जिनके रोहिंग्या होने का संदेह है. विपक्ष ने रोहिंग्या के प्रमाणपत्र बनाने की आशंका जताई थी. इस मामले में जब पक्ष-विपक्ष का तर्क शुरू हुआ, तो सदन में हंगामे की स्थिति बनी. हालांकि सत्ता पक्ष ने यह कहकर मामले को शांत करा दिया कि आप लिखित शिकायत करें, तो उस पर जांच कराई जाएगी.

रोहिंग्या कौन हैं?

म्यांमार में करीब 8 लाख रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं और वे इस देश में सदियों से रहते आए हैं, लेकिन म्यांमार के लोग और वहां की सरकार इन लोगों को अपना नागरिक नहीं मानती है. बिना किसी देश के इन रोहिंग्या लोगों को म्यांमार में भीषण दमन का सामना करना पड़ता है. बड़ी संख्या में रोहिंग्या लोग बांग्लादेश और थाईलैंड की सीमा पर स्थित शरणार्थी शिविरों में अमानवीय स्थितियों में रहने को विवश हैं.

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक, भारत में रोहिंग्या मुसलमानों की रजिस्टर्ड संख्या 14 हजार से अधिक है, लेकिन कुछ दूसरे आंकड़ों से पता चलता है कि यह संख्या लगभग 40 हजार के करीब है, जो अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं.

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