सरगुजा: महामाया मंदिर से करीब 300 मीटर पहले शहीद अब्दुल हमीद चौक है. इसे सद्भावना चौक भी कहा जाता है. इस चौक में कभी महामाया द्वार हुआ करता था. लेकिन सड़क चौड़ीकरण और रिंग रोड निर्माण में वह द्वार टूट गया और कई वर्षों से नहीं बन सका. इसी बीच रमजान का महीना और नवरात्रि एक साथ शुरू हुई. महामाया मंदिर से लगे वार्ड के 7 मुस्लिम पार्षदों ने नगर निगम को अपने मद से एक-एक लाख रुपए महामाया द्वार निर्माण के लिए देने का पत्र लिखा. इस पहल के बाद स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने भी एक लाख रुपए विधायक मद से देने की घोषणा की. टी एस सिंहदेव के छोटे भाई अरुणेश्वर शरण सिंहदेव और बहू ने भी एक-एक लाख रुपए का सहयोग करने की इच्छा जताई.
एक साथ बढ़े कई हाथ: देखते ही देखते शहर के कई लोग इस पहल से जुड़ने लगे. इसी बीच हिन्दू संगठन ने बैठक की और महामाया द्वार बनवाने की कवायद में शामिल हो गये. यहां कोई राजनीतिक दल सामने नहीं था. महामाया द्वार निर्माण को लेकर एक सर्व समाज की बैठक बुलाई गई. जिसमें सर्व समाज के लोगों ने बढ़ चढ़कर सहयोग करने की बात (Politics over Ambikapur Mahamaya Temple ) कही. इस बैठक में भी राजनीतिक दल सामने नहीं था.
स्वागत द्वार के लिए श्रेय लेने की होड़! :मेयर अजय तिर्की का कहना है कि महामाया द्वार निर्माण सामूहिक सहयोग से होना चाहिये. आस्था सभी की है. उसमें हर किसी का सहयोग लिया जा सकता है. जब हम दूसरे पर्व साथ मिलकर मनाते हैं तो मंदिर का द्वार भी मिलकर बनायेंगे. इसके लिये वैधानिक प्रक्रिया शुरू की जायेगी. कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता और भाजपा नेता भारत सिंह सिसोदिया ने भी यही कहा कि महामाया मंदिर का द्वार सबको मिलकर बनाना चाहिए, सबकी देवी हैं सबका स्वागत है. हालांकि भरत सिंह ने यह भी कहा कि पार्षद अपने मद का उपयोग अन्य वार्ड में नहीं कर सकते हैं. राशि की कमी की वजह से द्वार का काम ना रुक जाए, इसलिए वो आगे आए हैं. निर्माण के लिये जो भी आगे आएगा, सब मिलकर उसे राशि सौंप देंगे.
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राजपरिवार का है मालिकाना हक : अम्बिकापुर के नवागढ़ में मां महामाया का काफी प्राचीन मंदिर है. ये सरगुजा संभाग के लोगों की आस्था का केंद्र है. देश भर से ही नहीं बल्कि लोग विदेश से भी आकर यहां मन्नत मांगते हैं. यह मंदिर सरगुजा राजपरिवार का निजी मंदिर है. महामाया राजपरिवार की कुल देवी हैं. मंदिर की संपत्ति पर वर्तमान मंत्री टीएस सिंहदेव और उनके परिवार का मालिकाना हक है. मंदिर के रखरखाव की व्यवस्था भी राजपरिवार ही करता है. लेकिन देवी से सबकी आस्था जुड़ी है. सभी लोग यहां बड़ी श्रद्धा से दर्शन करने आते हैं.