सरगुजा: छत्तीसगढ़ में सूखे पर सियासत शुरू हो चुकी है. सरगुजा संभाग में बेहद कम हो रही बारिश ने किसानों को बर्बाद कर दिया है. खेत सूखे पड़े हैं. किसान चिंतित हैं. इस बीच कुछ विधायकों ने सरकार को इस समस्या से अवगत कराया. सरकार ने नजरी आंकलन के निर्देश दिये. लेकिन जारी आदेश में सरगुजा जिले के अम्बिकापुर विधानसभा के 2 विकासखंड को बाहर रखा गया है. अब इसे लेकर सियासत शुरू हो चुकी है. अम्बिकापुर विधानसभा के लखनपुर और उदयपुर विकासखंड के साथ किसान पक्षपात का आरोप लग रहे हैं. भाजपा ने तो इसे सीएम की कुर्सी की लड़ाई का असर तक कह दिया है.
60 फीसद से भी कम हुई बारिश:छत्तीसगढ़ में बारिश अच्छी हुई, लेकिन सरगुजा संभाग में वर्षा हुई ही नहीं. इस साल सरगुजा संभाग में 60 फीसद से भी कम वर्षा हुई है. ऐसे में कृषि प्रधान सरगुजा में अकाल पड़ने की संभावना दिख रही है. किसान बेहद चिंतित हैं. नहर के नजदीक और ट्यूबवेल वाले किसान किसी तरह से थोड़ा बहुत फसल लगा ले रहे हैं. लेकिन ज्यादातर खेत सूखे पड़े हैं. जिन किसानों ने धान की नर्सरी लगाई थी अब उस नर्सरी को रिप्लान्ट करने के लिये जमीन सूखी हुई है. यानी कि किसान बर्बादी की कगार पर है.
सरगुजा में कम बारिश पर सियासत लखनपुर-उदयपुर शामिल नहीं: जिन क्षेत्रों को सूखाग्रस्त संभावित मानकर सरकार ने सर्वे करने के निर्देश दिए हैं, उनमें सरगुजा जिले से लुंड्रा, दरिमा, बतौली, अम्बिकापुर, मैनपाट और सीतापुर तहसील शामिल है. सूरजपुर जिले से प्रतापपुर, बिहारपुर और लटोरी तहसील, बलरामपुर जिले की शंकरगढ़, रामानुजगंज, राजपुर, बलरामपुर, कुसमी, वाड्रफनगर तहसील. जशपुर जिले से जशपुर, दुलदुला, पत्थलगांव, सन्ना, कुनकुरी और कांसाबेल. रायपुर जिले में रायपुर और आरंग तहसील. कोरिया जिले में सोनहत तहसील, कोरबा जिले में दर्री तहसील, बेमेतरा जिले में बेरला, सुकमा जिले में गादीरास और कोंटा तहसील को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिये सरकार सर्वे करा रही है. लेकिन बवाल सरगुजा जिले की लखनपुर और उदयपुर विकासखंड को लेकर हो रहा है.
कुर्सी की लड़ाई का असर: भाजपा इसे कुर्सी की लड़ाई बता रही है. भाजपा का कहना है कि "सिंहदेव और सीएम के बीच चल रही कुर्सी की लड़ाई के कारण ऐसा किया गया है." इस विषय में भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के महामंत्री जितेंद्र सोनी का कहना है कि "सरगुजा में अल्प बारिश हुई है और सूखे की स्थिति है. अभी राज्य सरकार ने जो सूची जारी की है, उसमें लखनपुर और उदयपुर का नाम गायब है क्योंकि यहां के विधायक टी एस सिंहदेव हैं. लंबे समय से टीएस सिंहदेव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच कुर्सी को लेकर तनातनी चल रही है. यही कारण है कि उनकी विधानसभा के दो महत्वपूर्ण ब्लॉक जिसमें 80 फीसद किसान हैं. उस ब्लॉक को छोड़ दिया गया है. इन दो ब्लॉक को सूखाग्रस्त घोषित करें और किसानों को न्याय दिलाये."
जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने भी माना सूखे की स्थिति: कांग्रेस में ही जिला पंचायत सरगुजा के उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने अपनी टीम के साथ लखनपुर और उदयपुर के कई गांव का दौरा किया. स्थिति देखने के बाद उन्होंने खुद सूखा होने की बात कही. लेकिन फिर भी इन विकासखण्डों को सूची से बाहर रखना समझ से परे है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने कहा, "हम लोगों ने दो दिन तक लखनपुर और उदयपुर तहसील के कई गांव का विजिट किया. लखनपुर में जो सबसे लो लाइन खेत था, वहां कहीं पर पानी नहीं पाया गया, किसान के खेत बिल्कुल सूखे हुए थे. कई किसानों ने ये बात तक बोली कि हमारे मवेशी के लिए पैरा मिल जाये इस बार इसी के लिए खेती कर रहे हैं. धान की तो उम्मीद ही खत्म हो गई है. इधर, सिंचाई विभाग के भी अधिकारी मिले उनसे पता चला कि जो लघु सिंचाई इकाई है, उन सबमें एफटीएल के 5 फीसद से भी कम पानी मौजूद है."
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आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने कहा "उस क्षेत्र का सबसे बड़ा जल श्रोत है कुंवरपुर जलाशय. उसमें ड्रिंकिंग वाटर के रिक्वायरमेंट के ऊपर 30 से 36 फीट पानी रहता था, लेकिन उसमें 6 फीट ही पानी है. तो बात साफ है कि लखनपुर में लगभग हर तरफ धान की फसल सक्सेसफुल नहीं है. लगभग अकाल की स्थिति है. यही बात उदयपुर में सामने आई है. उदयपुर में तो जब हम लोग पहुंचे, तो पहली बार सावन के महीने में रोजगार गारंटी से मैंने तालाब खोदते देखा, लगभग 40 से 50 लोग उसमें काम कर रहे थे. उन लोगों का कहना था कि इस बार रोजगार गारन्टी से और काम खुलवा दीजिये क्योंकि फसल से हम लोगों को बिल्कुल उम्मीद नहीं है. अकाल की स्थिति लगभग दोनों तहसीलों में हर जगह पाई गई."