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छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्यकर्मी करेंगे हड़ताल, तीन दिवसीय विरोध की वजह से कोरिया में चरमराएगी स्वास्थ्य व्यवस्था - छत्तीसगढ़ में प्रभावित होगी स्वास्थ्य सेवा

छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्यकर्मियों ने लंबित मांगों को लेकर तीन दिवसीय हड़ताल करने का फैसला (Health workers of Chhattisgarh will go on strike) किया है. जिसके बाद कोरिया में स्वास्थ्यकर्मियों के हड़ताल का असर पड़ेगा

Health workers of Chhattisgarh will go on strike
हड़ताल के मूड में स्वास्थ्यकर्मी

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Published : Apr 8, 2022, 7:24 PM IST

कोरिया :छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के समस्त कर्मचारी तीन दिनों के सामूहिक अवकाश पर (Koriya health workers opened the front) रहेंगे.इस दौरान वे शासन का ध्यान लंबित मांगों की तरफ आकर्षित कराएंगे. स्वास्थ्य कर्मचारी संघ मनेन्द्रगढ़ के ब्लॉक अध्यक्ष प्रवीण सिंह ने जानकारी देते हुये बताया कि 28 सूत्रीय मांगों को लेकर स्वास्थ्य कर्मचारी विगत तीन वर्षो से शासन से पत्राचार और धरना प्रदर्शन के माध्यम से अपनी मांग रखते आए हैं. लेकिन शासन ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया. जिसके कारण मजबूरन 11 अप्रैल से 13 अप्रैल तक समस्त कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे.

स्वास्थ्यकर्मी संघ की मांगें : पूरे प्रदेश के मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय, सामुदायिक अस्पताल, प्राथमिक उप स्वास्थ्य केन्द्र, संविदा, जीवन दीप, समस्त तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी शामिल हो रहे हैं. स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने कहा है कि वेतन विसंगति दूर करने, महंगाई भत्ता बढ़ाने, मकान भत्ता बढ़ाने, संविदा कर्मचारियों का वेतन और नियमितीकरण, जीवन दीप के कर्मचारियों को कलेक्टर दर एवं योग्यता अनुसार नियमितीकरण, स्टॉफ नर्सों का पदनाम परिवर्तन, 6 हजार वार्षिक एलाउंस, पदोन्नति, नियम विरूद्ध संलग्नीकरण समाप्त करने, कोरोना काल में कार्य के बदले प्रोत्साहन राशि सहित 28 मांगें शामिल है.

ठप रहेंगी स्वास्थ्य सुविधाएं : अवकाश के कारण तीन दिन, 11 से 13 अप्रैल तक स्वास्थ्य सुविधाएं बाधित (Health service will be affected in Chhattisgarh) रहेंगी. संघ के पदाधिकारियों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी आंदोलन के पक्ष में कभी भी नहीं रहते. लेकिन मजबूरी और शासन के उदासीन रवैये के कारण आंदोलन हो रहा है. मांग पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की चेतावनी भी दी जाएगी.

आधा मिल रहा महंगाई भत्ता : केन्द्रीय कर्मचारियों को जहां 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है वहीं राज्य शासन के कर्मचारियों को महज 17 प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जा रहा है. संगठन ने लगातार इस दिशा में प्रयास भी किया कि महंगाई भत्ता बढ़ाया जाए. लेकिन शासन ने उनकी मांगों को अनसुना कर दिया. वहीं जीवन दीप समिति के कर्मचारियों को 3 हजार से 4 हजार प्रतिमाह वेतन दिया जाता है जबकि शासन के ही नियमानुसार कलेक्टर दर से कम मजदूरी या वेतन नही दिया जाना है. श्रम कानूनों का लगातार उल्लंघन एवं कर्मचारियों का शोषण (exploitation of employees) हो रहा है.

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आंदोलन शौक नहीं मजबूरी: स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी लगातार आंदोलन को टालते रहे हैं. ताकि हड़ताल की स्थिति न बने और आम जनता को परेशानी न हो. संघ की मंशा कभी भी किसी को परेशान करने की नहीं रही है. आम नागरिकों से भी सहयोग की अपील की जा रही है. लेकिन शासन के उदासीन रवैये के कारण संघ को अपनी मांग मनवाने के लिये मजबूरन हड़ताल करना पड़ रहा है.

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