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स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र में काश होती सड़क तो मैं होती जिंदा .. - no road in the village of Ambikapur

स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) के क्षेत्र में एक गांव में सड़क ना होने का खामियाजा एक बच्ची ने भुगता.बच्ची को वक्त पर अस्पताल नहीं पहुंचा सकने के कारण उसकी मौत हो गई.

Girl dies due to snakebite in Ambikapur
स्वास्थ्य मंत्री के क्षेत्र में काश होती सड़क तो मैं होती जिंदा

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Published : May 20, 2022, 6:49 PM IST

अंबिकापुर :राज्य सरकार विकास के लाख दावे कर लें. लेकिन जमीनी स्तर पर तमाम दावे झूठे साबित हो रहे हैं. ताजा मामला अंबिकापुर का है. यहां सड़क नहीं होने के कारण गांव में एम्बुलेंस नहीं पहुंची. जिसके कारण सर्पदंश की शिकार एक बच्ची को कांवड़ में रखकर उसके पिता ने अस्पताल तक (Girl dies due to snakebite in Ambikapur) पहुंचाया. लेकिन जब तक बच्ची अस्पताल में दाखिल हो पाती उसकी सांसों ने साथ छोड़ दिया. बच्ची को पिता अस्पताल तक तो ले आया लेकिन अस्पताल में उनकी जिंदा बेटी मुर्दा में तब्दील हो चुकी थी.

क्यों हुई बच्ची की मौत :बीती रात एक गांव में नाबालिग बच्ची जो जमीन में सो रही थी. उसे सांप ने डस लिया. सांप के काटने पर बच्ची चिल्ला कर उठी. परिजनों ने बच्ची के पैर में कपड़ा बांधा और एंबुलेंस को फोन किया.लेकिन शायद इस गांव में रहना ही इस परिवार के लिए अभिशाप साबित हुआ. क्योंकि बच्ची जिस गांव में थी वहां तक पक्की या कच्ची किसी भी तरह की सड़क नहीं ( no road in the village of Ambikapur) थी.

परिजनों ने क्या किया :जैसे ही परिवार को पता चला कि गांव तक एंबुलेंस नहीं आ सकती है वैसे ही उन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को अस्पताल पहुंचाने की ठानी. ग्रामीण इलाके में सड़क नहीं होने के कारण किसी के पास गाड़ी भी नहीं थी. इसलिए परिवार ने कावड़ का इंतजाम किया और दर्द से तड़पती बच्ची को लेकर निकल पड़े जिंदगी की तलाश में.

नहीं बच सकी जान :अंधेरे में उबाड़ खाबड़ रास्ते से होते हुए बच्ची को किसी तरह पिता पास के एक गांव तक लेकर आ गया. जहां पर एंबुलेंस उसका इंतजार कर रही थी. पिता ने अपनी बच्ची की जान बचाने के लिए एंबुलेंस के सहारे अस्पताल तक का सफर तय किया.लेकिन जैसे ही अस्पताल में एंबुलेंस पहुंची बच्ची के सांसें उखड़ चुकी थी. डॉक्टरों ने नब्ज टटोली और जो जवाब दिया उससे पिता का संसार उजड़ गया.

काश होती सड़क तो : यदि शासन प्रशासन या जनप्रतिनिधियों ने इस गांव तक सड़क पहुंचा दी होती तो शायद एक मासूम को असमय काल के गाल में ना समाना पड़ता. बच्ची ने अभी संसार नहीं देखा था. लेकिन इस संसार को देख लेने वाले नुमाइंदों से अपील है कि कम से कम गांवों तो बुनियादी सुविधाएं तो पहुंचाए ताकि फिर किसी भी घर का चिराग ना बुझे.

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