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अंबिकापुर: देश के पहले गार्बेज कैफे पर लॉकडाउन का असर, जागरुकता पर फोकस

अम्बिकापुर नगर निगम (Municipal council) में देश का पहला गार्बेज कैफे (Garbage Cafe) खोला गया था लेकिन कोरोना महामारी (corona pandemic) का प्रभाव इस पर भी अब साफ तौर पर दिखने लगा है. लॉक डाउन में बंद हुआ गार्बेज कैफे का अस्तित्व अब संकट (existence is now in danger) में है.

Country's first garbage cafe in Bikapur
बिकापुर में देश के पहले गार्बेज कैफे

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Published : Sep 11, 2021, 10:13 PM IST

सरगुजा:स्वच्छता (Cleanliness) के मामले में लगातार देश में नंबर एक और दो स्थान पर रहने वाला अम्बिकापुर नगर निगम. जिसने देश को ना सिर्फ सॉलिड लिक्विड एवं वेस्ट मैनेजमेंट (Solid Liquid and Waste Management) का फार्मूला (formula) दिया बल्कि देश का पहला गार्बेज कैफे (First Garbage Cafe) भी इसी शहर में खुला.

लेकिन कोरोना महामारी का प्रभाव इस पर भी पड़ा और लॉक डाउन में बंद हुआ गार्बेज कैफे का अस्तित्व अब संकट में है. कोरोना के दो चरणों में लॉक डाउन की वजह से अम्बिकापुर का गार्बेज कैफे (Ambikapur Garbage Cafe) भी बंद था. अनलॉक की स्थिति में गार्बेज कैफे खुला लेकिन जिस मकसद से उसे खोला गया था वह मकसद अब फीका पड़ चुका है.

अंबिकापुर में देश के पहले गार्बेज कैफे पर लॉक डाउन का असर

अब गार्बेज कैफे में एक दिन में एक या दो किलो ही पॉलीथिन (polythene) आती है किसी-किसी दिन एक भी व्यक्ति यहां नही आता. लिहाजा अनलॉक के बाद एक बार फिर शहर के लोगों में जागरुकता (awareness) लाने की जरूरत है. शहर को पॉलीथिन मुक्त (polythene free) करने के उद्देश्य से शुरू की गई.

इस कयावद को साकार तभी किया जा सकता है जब ज्यादा से ज्यादा लोग यहां पॉलीथिन लेकर आयें और पॉलीथिन के बदले मुफ्त में नाश्ता (free breakfast) व खाने का लाभ उठायें. फिलहाल नगर निगम के मेयर ने कहा है की अब एक बार फिर से इस दिशा में प्रयास किया जाएगा. उन्हें उम्मीद है कि गार्बेज कैफे अपने मूल उद्देश्य को पूरा करने में सहायक साबित होगा.

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क्या है गार्बेज कैफे

वर्ष 2019 में अम्बिकापुर नगर निगम ने ऐसा काम कर दिया जिसकी सराहना विश्व भर में हुई. यहां शहर में इधर-उधर पड़े रहने वाले वेस्ट पॉलीथिन से शहर को मुक्त करने की दिशा में गार्बेज कैफे के तौर पर एक इनोवेशन (innovation) किया गया. गार्बेज कैफे में वेस्ट पॉलीथिन 1 किलो देने पर भर पेट खाना और आधा किलो वेस्ट पॉलीथिन पर नाश्ता निशुल्क देने की योजना (Plan) शुरू की गई.

पॉलीथिन सड़क पर फेंकने की बजाय लोग करने लगे थे संग्रहण

इस योजना से शहर के लोग रुची दिखाने लगे और वेस्ट पॉलीथिन सड़क पर फेंकने के बजाय उसका संग्रहण (Storage) करने लगे. इस वेस्ट पॉलीथिन को नगर निगम द्वारा संचालित गार्बेज कैफे में लिया जाता है और बदले में एक टोकन (token) दे दिया जाता है. टोकन कैफे में दिखाने पर उस व्यक्ति को निशुल्क नाश्ता या खाना मिल जाता है. योजना से जहां गरीबों का पेट भरने का जुगाड़ हुआ वहीं शहर को पॉलीथिन मुक्त करने की दिशा में एक नायाब काम शुरू हुआ.

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