सरगुजा:सरगुजा के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण वन संपदा से तेल बनाते हैं. इसे पेरने के लिये संयत्र भी इनके ही द्वारा बनाया जाता है. बिना किसी मशीन के लकड़ी से बनाये गए जुगाड़ के संयत्र से ये ग्रामीण तेल पेर लेते (desi jugaad tirhi ) हैं. वे अपने खाने और शरीर मे लगाने के लिये तेल का जुगाड़ कर लेते हैं.
तमाम तरह की वेरायटी:सरसों, खाली, डोरी सहित तमाम वन संपदा सहित तिलहन फसलों से यह तेल निकाला जाता है. फिलहाल ठंड आने वाली है इसलिए अब ग्रामीण महुये की डोरी का तेल निकाल रहे (extracting edible oil in sarguja ) हैं. महुये के फल के अंदर से निकलने वाले बीज को ग्रामीण डोरी कहते हैं. इस डोरी को सुखा लिया जाता है. सूखे हुए डोरी को सरपट से बनी पोटली में भर दिया जाता है.
ऐसे निकालते हैं तेल: अब यह पोटली एक ऐसी लकड़ी के ऊपर रखी जाती है, जिसमें तेल के गिरने के लिए नालीदार रास्ता बनाया जाता है. नाली के सामने एक बर्तन रख दिया जाता है, जिसमें तेल एकत्र होता है. अब इन पोटलियों के ऊपर लकड़ी का करीब 10 फीट लंबा वजनदार हिस्सा रखा जाता है. लकड़ी को और दबाव दिया जाता है. लकड़ी के दबाव से पोटली में बंद डोरी पर इतना अधिक दबाव पड़ता है कि उसमें से तेल निकलने लगता है.