सरगुजा : संभाग की 14 विधानसभा सीटों में से एक बलरामपुर जिले की सामरी विधानसभा है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस विधानसभा के दौरे पर(CM Bhupesh visit to Samari Assembly ) हैं. कभी लाल आतंक से प्रभावित यह क्षेत्र आज विकास के मुख्य धारा से जुड़ चुका है. लंबे समय तक नक्सल प्रभावित होने की वजह से अन्य क्षेत्रों से सामरी में विकास धीमी गति से हुआ.
2012 में बना बलरामपुर जिला : संयुक्त सरगुजा जिले से अलग होकर 17 जनवरी 2012 को बलरामपुर जिला अस्तित्व में आया था. छत्तीसगढ़ के उत्तरी छोर पर स्थित बलरामपुर को जिला बनाने की घोषणा 15 अगस्त 2011 को तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने की थी. 2012 में बलरामपुर जिला अधिकारिक रूप से अस्तित्व में आया. यहां के लोगों को अपने शासकीय- प्रशासनिक कार्यों के लिए 80-100 किलोमीटर दूरी तय करके अंबिकापुर मुख्यालय जाना पड़ता था. जिसमे खर्च भी अधिक होता था.लेकिन इस समस्या का समाधान जिला बनने के बाद हो गया.
विधानसभा की स्थिति :जिले में विधानसभा की दो सीटें हैं. रामानुजगंज और सामरी. यह दोनों विधानसभा सीटें जनजाति बाहुल्य होने के कारण अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. पूर्व में रामानुजगंज विधानसभा को पाल के नाम से जाना जाता था. सामरी विधानसभा क्षेत्र से पूर्व में कद्दावर आदिवासी नेता लरंगसाय चुनाव लड़कर जीतते रहे. सामरी विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 1,97,591 है. उनमें से 98626 पुरूष मतदाता हैं वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 98965 है.
सीट पर जीत हार का समीकरण : पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी चिंतामणि सिंह ने बीजेपी के सिद्धनाथ पैकरा को हराया था. वहीं 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के ही प्रत्याशी डॉ. प्रीतम राम ने बीजेपी के सिद्धनाथ पैकरा को बड़े अंतर से शिकस्त दी थी. 2008 में बीजेपी के सिद्धनाथ पैकरा ने चिंतामणि सिंह को सामरी में पटखनी दी. हालांकि उस चुनाव में चिंतामणि महाराज निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना भाग्य आजमा रहे थे. 2003 विधानसभा चुनाव परिणाम की बात करें तो उस चुनाव में बीजेपी के सिद्धनाथ पैकरा ने कांग्रेस के महेश्वर पैकरा को हराकर जीत दर्ज की थी.
क्या है जातीय समीकरण : यहां गोंड़, कंवर और उरांव जनजाति के सर्वाधिक मतदाता हैं. जो परिणाम को प्रभावित करते हैं.शंकरगढ़, कुसमी और राजपुर तीन विकासखंड की यह विधानसभा घनघोर वनांचल क्षेत्र है. पहले का अम्बिकापुर जिला मुख्यालय हो या आज का बलरामपुर जिला मुख्यालय इनके लिये दूरी हमेशा एक समस्या रही है. कुसमी और शंकरगढ़ की दूरी मुख्यालय से काफी अधिक है. जिससे लोगों को समस्या होती है.
जिला बनाने की है मांग :राजपुर मुख्य मार्ग पर बसा है. राजपुर को जिला बनाने की मांग भी समय-समय पर होती रहती है. विधानसभा परिसीमन में भी कुछ जनपद क्षेत्र बदलाव चाहते हैं. राजपुर जनपद पंचायत का बरियों, आरा ये ऐसे जनपद क्षेत्र हैं जिनकी अम्बिकापुर से दूरी 14 से 20 किलोमीटर है. लेकिन इनका जिला मुख्यालय बलरामपुर है. आरा से बलरामपुर की दूरी 70 किलोमीटर है जबकी अम्बिकापुर 25 किलोमीटर दूर है. आरा और बरियों क्षेत्र के लोग सरगुज़ा जिले में शामिल होना चाहते हैं.