सरगुजा:संभाग मुख्यालय अंबिकापुर (Ambikapur) जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खुशनुमा मौसम के लिए पहचाना जाता है. यहां की सुंदरता इसके चारों ओर किसी प्रहरी की भांति खड़े पहाड़ों की वजह से है. शहर चारों दिशाओ में स्थित पहाड़ों से घिरा हुआ है. जो न सिर्फ सुंदरता में चार चांद लगाते हैं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से भी बचाते हैं. लेकिन शहर को सुरक्षित करने वाले इन पहाड़ों पर खतरा मंडरा रहा है. लोग अवैध कब्जा कर रहे हैं.
पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के बक्सवाहा (Buxwaha of Madhya Pradesh) में भी जंगल और जीवन बचाने संघर्ष हुआ. वहां हीरे निकालने के लिए बड़े जंगल की कटाई की योजना बनी. लेकिन अंबिकापुर में तो हीरा भी नहीं मिलना है फिर भी अपने पहाड़ जंगल बचाने की मुहिम लोगों ने शुरू कर दी है.
महामाया पहाड़(Mahamaya mountain) पर चल रहे कब्जे के खेल के बाद अब एक वन अधिकार पत्र को बेचने का मामला सामने आया है. भाजपा पार्षद ने इसकी शिकायत मुख्य वन संरक्षक से की है, जिसके बाद मुख्य वन संरक्षक ने इसकी जांच के निर्देश डीएफओ को दिए हैं. लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि हितग्राहियों ने वन अधिकार पत्र को बेच दिया और इस जमीन पर मकानों का निर्माण भी हो गया लेकिन इसकी भनक वन विभाग को नहीं लग सकी.
पार्षद ने दस्तावेज के साथ की शिकायत
बता दें कि हाल ही में पार्षद अलोक दुबे ने महामाया पहाड़ में अवैध रूप से किए गए कब्जे की शिकायत की थी. जिसके बाद मामले में प्रशासन द्वारा टीम का गठन कर इसकी जांच कराई जा रही है. इस बीच अब शहर महामाया पहाड़ स्थित बधियाचुंआ व खैरबार में ग्रामीणों को मिले वन अधिकार पट्टे को 100-100 रुपए के स्टाम्प में बेचने की बात सामने आई हैय पार्षद अलोक दुबे के अनुसार वन अधिकार पत्र के तहत मिली जमीन की बिक्री नहीं की जा सकती. यह जमीन हितग्राहियों को अपने जीवन यापन और खेती किसानी के लिए दिया जाता है. लेकिन इस जमीन पर भी भूमाफियाओं ने अपनी नजर गड़ा ली. उन्होंने मुख्य वन संरक्षण को इस संबंध में पत्र लिखकर कुछ ऐसे लोगों के नाम दिए हैं, जिन्होंने अपनी जमीन को लाखों रुपए की लालच में बेच दिया. जबकि वन अधिकार पत्र के जमीन की बिक्री नहीं हो सकती. हैरानी की बात तो यह है कि इस जमीन पर लोगों द्वारा मकानों का निर्माण भी करा लिया गया है जो पूर्ण रूप से अवैध हैय उन्होंने स्थल निरीक्षण के साथ ही मामले की जांच व अवैध निर्माण को हटाए जाने की मांग की है।
इन लोगों ने बेची अपनी जमीन
पार्षद अलोक दुबे द्वारा बताया गया कि खैरबार निवासी सुधीर राम पत्नी हीरामती के नाम पर 1.540 हेक्टेयर वनभूमि का पट्टा बना था, जिसमें से 30 डिसमिल जमीन को उसने 8 लोगों को 20 लाख रुपए में बेच दिया है. इसी तरह रायतलो बाई पति देवधारी के नाम पर 0.525 हेक्टेयर भूमि का पट्टा बना था, जिसे 5 लाख रुपए में बेच दिया गयय. मेरी फिलोसीना पति बोनिफास के नाम पर 0.525 हेक्टेयर भूमि का पट्टा बना था, जिसे उसने 10 लाख में बेच दिया. कृष्णा पति सरानी उरांव को 0.130 हेक्टेयर की जमीन को 15 लाख में बेच दिया. बसंती बाई पति सोनसाय ने 040 हेक्टेयर भूमि को 20 लाख में बेचा है. इसी तरह मालती पति सिमोन ने 10 लाख रुपए में अपने पट्टे की जमीन बेच दी.
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