सरगुजा: मेडिकल कॉलेज के कोविड 19 अस्पताल से शुक्रवार को एक साथ 16 लोगों को फिर से डिस्चार्ज किया गया. डिस्चार्ज हुए मरीजों में जशपुर जिले के 15 पुरुष और सरगुजा की एक महिला शामिल है. इसके साथ ही केंद्र और राज्य से मिली नई एडवाइजरी के तहत अस्पताल प्रबंधन ने संक्रमित एसिम्प्टोमैटिक मरीजों को 10 दिनों तक अस्पताल में रखने का फैसला लिया है.
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छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. इस बीच अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल से 16 मरीजों को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया है. शहर में लगातार बढ़ रहे मरीजों की वजह से अस्पताल में बेड की संख्या कम पड़ रही है. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार ने एसिम्प्टोमैटिक मरीजों का इलाज घर में ही करने की एडवाइजरी जारी की थी. चूंकि प्रदेश और जिले में लगभग सभी मरीज एसिम्प्टोमैटिक ही सामने आ रहे हैं, ऐसे में राज्य सरकार ने यह निर्देश दिया है कि अब कोरोना संक्रमित ऐसे मरीजों को सिर्फ दस दिनों तक कोविड-19 हॉस्पिटल में रखा जाएगा. इस दौरान उनका एक टेस्ट कराकर रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें डिस्चार्ज किया जाएगा. इसके बाद उन्हें 14 दिनों तक होम क्वॉरेंटाइन में रहना होगा.
1 जून को किए गए थे एडमिट
सभी 16 मरीजों को 1 जून को एडमिट किया गया था, जिनकी जांच रिपोर्ट 9 जून को निगेटिव आई थी. इसके बाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल ने सभी को डिस्चार्ज कर दिया. इसके साथ ही अब मेडिकल कॉलेज के कोविड-19 हॉस्पिटल में 56 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 59 मरीज ठीक होकर जा चुके हैं. मेडिकल कॉलेज में कुल 115 मरीजों को भर्ती कराया गया था. यहां इलाज कराने वालों में सरगुजा जिले के 16, सूरजपुर के 3, बलरामपुर के 20, कोरिया जिले के 15 और जशपुर जिले के 2 मरीज हैं. कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों में से 1 को माइल्ड सिम्पटम है, बाकी सभी मरीज एसिम्प्टोमैटिक (बिना सक्षण वाले) हैं. 2 मरीजों का हाई ब्लड प्रशर और मधुमेह नियंत्रण में है.
एसिम्प्टोमैटिक मरीज को 10 दिन में भेजा जाएगा घर
अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर पीएस सिसोदिया ने बताया कि शासन ने नया आदेश जारी कर दिया है. अगर एसिम्प्टोमैटिक मरीज में 10 दिनों के भीतर लक्षण नहीं आते हैं और उसकी पहली रिपोर्ट निगेटिव है, तो उन्हें घर भेजा जाए. अब 3 रिपोर्ट की प्रतीक्षा नहीं करनी है. डिस्चार्ज होने वाले मरीजों को 14 दिनों तक होम क्वॉरेंटाइन में रहना होगा. अगर उन्हें कोई परेशानी होती है या लक्षण उभरते हैं, तो वे अपने जिले के अस्पताल में जाकर जांच और उपचार सुविधा ले सकते हैं. इसी नियम के तहत 16 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया है.