बिहार महासमर 2020ः महंगाई से जनता हलकान, फिर राजनेता क्यों नहीं है परेशान!
बिहार में लोकतंत्र का महापर्व शुरू हो चुका है. इस साल बिहार विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी, पलायन, किसानों की समस्या, शिक्षा व्यवस्था आदि मुद्दों पर खूब बयानबाजी की जा रही है. वहीं आम आदमी के थाली का स्वाद बिगाड़ने वाली कमरतोड़ महंगाई चुनावी मुद्दा बनने में विफल रही. कमरतोड़ महंगाई ने आम लोगों के चूल्हे का बजट बिगाड़ दिया है. इसके कारण घरों में थाली से सब्जियां गायब है. जरूरी सामान की कीमतें भी आसमान छू रही है. बिहार में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण लोग दोहरी मार झेल रहे हैं. जहां एक तरफ रोजगार छिन गए तो दूसरी तरफ बेकाबू महंगाई ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. चुनावी सरगर्मी के बीच लोगों के दर्द को महसूस करने वाला कोई नहीं है. लोगों की थाली से सब्जियां गायब है. आलू 50 रुपये का आंकड़ा पार कर चुका है तो प्याज 70 रूपये किलो बिक रहा है. वहीं सरसों तेल डेढ़ सौ रूपये लीटर तक पहुंच चुका है.