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राजनीतिक दलों के फायदे की वस्तु बनकर रह गया है AMU, अंधकार में जा रहा छात्रों का भविष्य - एमबीए की डिग्री

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Published : Aug 10, 2020, 7:49 PM IST

विश्व में भारत शिक्षा के मामले मे 168 वें स्थान पर आता है. वहीं, बिहार भारत में सबसे नीचे और किशनगंज राज्य का सबसे निरक्षर जिला है. किशनगंज के साथ पूरे सीमांचल इलाके को विभिन्न राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते आ रहे हैं. इसका जीता जागता उदाहरण है जिले का एएमयू सेंटर है. जो यहां के लोगों के लिए एक सपना बन कर रह गया है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने साल 2009 में एएमयू केंद्र का शिलान्यास किया था. साथ ही इसके लिए 1सौ 36 करोड़ रुपये की घोषणा भी की गई थी, लेकिन केंद्र के पास अपना भवन नहीं होने के कारण एएमयू शुरू नहीं हो पाया. 2013 में बिहार सरकार ने विश्वविद्यालय को को रेंट फ्री दो भवन मुहैया कराए, जिसके बाद यहां वार्षिक बीएड की पढ़ाई 60 छात्रों के साथ शुरू की गई. 2013-2014 और 2014-2015 में दो बैच के 120 छात्रों ने एएमयू से बीएड की डिग्री हासिल की. 2014 में एएमयू सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने यहां एमबीए का कोर्स शुरू किया. 2014-2016 बैच में 60 छात्रों ने यहां से एमबीए की डिग्री प्राप्त की. एएमयू केंद्र में स्थित 100 बेडों वाला छात्रावास सरकार के दिए गए दो भवनों में संचालित किया जाता

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